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आतंकियों के परिजनों के साथ संवाद का अभियान शोपियां से शुरू हुआ है
शोपियां ही इस समय सबसे ज्यादा आतंकवाद प्रभावित है
एक महीने में चार लड़के आतंक को छोड़कर घर लौट चुके हैं
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डीआइजी (दक्षिण कश्मीर रेंज) एस पी पाणि, एसएसपी शोपियां श्रीराम अंबरकर व अन्य पुलिस अधिकारियों ने जिले में करीब 30 ऐसे परिवारों से बातचीत की है, जिनके बच्चे आतंकी बन चुके हैं. डीआइजी ने आतंकियों के परिवारों को सामूहिक रूप से संबोधित करने के अलावा उनके साथ निजी तौर पर भी बातचीत की और उनसे दिल की बात जानने का प्रयास किया.
अधिकारियों के मुताबिक कई आतंकियों के परिजनों की ओर से आत्मसमर्पण की अपील और एक माह के दौरान चार लड़कों की वापसी को सकारात्मक मानते हुए पुलिस भी आतंकियों की घर वापसी के लिए सक्रिय हो गई है. पुलिस ने बकायदा इसके लिए अभियान चलाया है. आतंकियों के परिजनों के साथ संवाद का यह अभियान पुलिस ने दक्षिण कश्मीर के जिला शोपियां से शुरू किया है.
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गौरतलब है कि शोपियां ही इस समय सबसे ज्यादा आतंकग्रस्त है. इस जिले में करीब 50 आतंकी सक्रिय बताए जाते हैं. इस दौरान कई आतंकियों के परिजन फूट-फूटकर रोए. उन्होंने अपने बच्चों के आतंकवाद के रास्ते पर जाने पर दुख जताते हुए कहा कि यहां कई लोग बेशक बंदूक उठाने वाले लड़कों को हीरो बताकर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन वह यह नहीं बताते कि किस तरह किसी स्थानीय आतंकी के परिजन रोज तिल-तिल कर मरते हैं. जब कोई आतंकी मरता है तो उसके परिवार की क्या हालत होती है.
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आतंकियों के परिजन इस बात से काफी राहत महसूस कर रहे थे कि पुलिस उन्हें मुठभेड़ में मारने के बजाय जिंदा पकड़ कर मुख्यधारा में शामिल करने के लिए ठोस कदम उठाकर खुद आतंकियों के परिजनों से मिल रही है. आपसी बातचीत के दौरान आतंकियों के परिजनों ने उन सभी बातों का सिलसिलेवार ढंग से जिक्र किया, जिनसे प्रभावित होकर उनके बच्चे आतंकी बने हैं. इन लोगों ने यकीन दिलाया कि वह अपने बच्चों से मुख्यधारा में लौटने की अपील करने के साथ कोई दूसरा लड़का आतंकी न बने, इसके लिए प्रयास जारी ऱखेंगे. सुरक्षाबलों का कहना है कि मेल मिलाप की इस पहल से शायद फौरन नतीजे न निकलें लेकिन लगातार कोशिशें होती रहें तो कामयाबी मिल सकती है.
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