भारतीय सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
मुंबई में ध्वनि प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतने सालों से डांडिया चला आ रहा है, लेकिन अभी तक कोई दिक्कत नहीं हुई अब क्या दिक्कत हो गई? सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी उस अर्जी पर सुनवाई के दौरान की जिसमें मांग की गई थी सुप्रीम कोर्ट बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर लगी रोक को हटाए. अर्जी में कहा गया था इस समय मुम्बई में अफरा तफरी का माहौल है, हॉस्पिटलों के आस पास डांडिया का प्रोग्राम हो रहा है, ऐसे में हाई कोर्ट के आदेश पर लगी रोक को हटाया जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को फ़िलहाल ठुकरा दिया है और मामले की सुनवाई 6 अक्टूबर को तय की है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में गणपति विसर्जन को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट के साइलेंस जोन के आदेश पर रोक लगा दी थी.
दरअसल इसी महीने ध्वनि प्रदूषण से जुड़े नियमों में बदलाव करने वाली केंद्र सरकार के कदम पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. साल 2000 के ध्वनि प्रदूषण संबंधी नियमों में केंद्र सरकार द्वारा किए गए बदलाव को हाईकोर्ट ने असंवैधानिक मानते हुए प्रथम दृष्टया इसे संविधान के अनुच्छेद 21 व 14 के विपरीत बताया था. हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकार ने कानून में बदलाव करते समय जनहित से जुड़े सिद्धांत का पालन नहीं किया है. पर्यावरण कानून के तहत इसे अनिवार्य किया गया है, लेकिन केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने इसका पालन नहीं किया.
बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि अगर हाईकोर्ट का साइलेंस जोन का फैसला बरकरार रखा गया तो गणेश विसर्जन में दिक्कत होगी. हाईकोर्ट की रोक के बाद सभी अस्पतालों, धार्मिक स्थलों, स्कूल-कॉलेज के 100 मीटर के दायरे वाला क्षेत्र शांत क्षेत्र या साइलेंस जोन बना रहता. दरअसल बीएमसी ने मुंबई में 1500 जगहों को शांत क्षेत्र घोषित कर रखा था.
दरअसल इसी महीने ध्वनि प्रदूषण से जुड़े नियमों में बदलाव करने वाली केंद्र सरकार के कदम पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. साल 2000 के ध्वनि प्रदूषण संबंधी नियमों में केंद्र सरकार द्वारा किए गए बदलाव को हाईकोर्ट ने असंवैधानिक मानते हुए प्रथम दृष्टया इसे संविधान के अनुच्छेद 21 व 14 के विपरीत बताया था. हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकार ने कानून में बदलाव करते समय जनहित से जुड़े सिद्धांत का पालन नहीं किया है. पर्यावरण कानून के तहत इसे अनिवार्य किया गया है, लेकिन केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने इसका पालन नहीं किया.
बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि अगर हाईकोर्ट का साइलेंस जोन का फैसला बरकरार रखा गया तो गणेश विसर्जन में दिक्कत होगी. हाईकोर्ट की रोक के बाद सभी अस्पतालों, धार्मिक स्थलों, स्कूल-कॉलेज के 100 मीटर के दायरे वाला क्षेत्र शांत क्षेत्र या साइलेंस जोन बना रहता. दरअसल बीएमसी ने मुंबई में 1500 जगहों को शांत क्षेत्र घोषित कर रखा था.
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