मद्रास हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
चेन्नई:
मद्रास उच्च न्यायालय में तमिल भाषा को अदालती काम काज की भाषा बनाए जाने की मांग जोर पकड़ती दिख रही है। यह मांग कर रहे वकीलों के एक समूह ने सोमवार को मुंह पर काली पट्टी बांधी और अदालत के कमरे में धरने पर बैठ गए। इसके चलते न्यायालय परिसर में खलबली मच गई। वकीलों को अपनी इस हरकत के कारण मुख्य न्यायाधीश संजय किशन कौल की नाराजगी झेलनी पड़ी।
नाराज वकीलों ने बैनर और पोस्टर दिखाए...
मदुरै के ‘तमिल संघर्ष आंदोलन’ के बैनर तले करीब 12 वकील मुख्य न्यायाधीश के कक्ष में पहुंचे और उनके पहुंचने से पहले वे दर्शक दीर्घा की कुछ सीटों पर बैठ गए। अपनी मांग के समर्थन में उन्होंने एक बैनर और पोस्टर भी दिखाया।
मुख्य न्यायाधीश के न्यायालय कक्ष में आते ही दो वकील वकीलों के लिए बने स्थान की ओर चले गए। अपना स्थान ग्रहण करने के तुरंत बाद मुख्य न्यायाधीश को प्रदर्शन कर रहे वकीलों की उपस्थिति का भान हुआ और उन्होंने इसका कारण जानना चाहा। इनमें से एक वकील ने कहा कि वे चाहते हैं कि तमिल भाषा को उच्च न्यायालय में अदालती काम काज की भाषा बनाया जाए।
न्यायाधीश ने जतायी प्रदर्शन पर नाराजगी...
प्रदर्शन पर अपनी नाखुशी जताते हुए न्यायाधीश कौल ने कहा कि इस तरह की मांगों के लिए अदालत सही मंच नहीं है और इसके लिए उन्हें सरकार से संपर्क करना चाहिए। न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह के प्रदर्शन की संभावना की सूचना के बगैर स्थानीय पुलिस बल ऐसी स्थिति को रोकने में सक्षम नहीं होगी।
बहरहाल, भोजन-सत्र के बाद वकीलों ने अपने मुंह से काली पट्टी हटा ली, जिसे उन्होंने अदालत में बांध रखा था।
नाराज वकीलों ने बैनर और पोस्टर दिखाए...
मदुरै के ‘तमिल संघर्ष आंदोलन’ के बैनर तले करीब 12 वकील मुख्य न्यायाधीश के कक्ष में पहुंचे और उनके पहुंचने से पहले वे दर्शक दीर्घा की कुछ सीटों पर बैठ गए। अपनी मांग के समर्थन में उन्होंने एक बैनर और पोस्टर भी दिखाया।
मुख्य न्यायाधीश के न्यायालय कक्ष में आते ही दो वकील वकीलों के लिए बने स्थान की ओर चले गए। अपना स्थान ग्रहण करने के तुरंत बाद मुख्य न्यायाधीश को प्रदर्शन कर रहे वकीलों की उपस्थिति का भान हुआ और उन्होंने इसका कारण जानना चाहा। इनमें से एक वकील ने कहा कि वे चाहते हैं कि तमिल भाषा को उच्च न्यायालय में अदालती काम काज की भाषा बनाया जाए।
न्यायाधीश ने जतायी प्रदर्शन पर नाराजगी...
प्रदर्शन पर अपनी नाखुशी जताते हुए न्यायाधीश कौल ने कहा कि इस तरह की मांगों के लिए अदालत सही मंच नहीं है और इसके लिए उन्हें सरकार से संपर्क करना चाहिए। न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह के प्रदर्शन की संभावना की सूचना के बगैर स्थानीय पुलिस बल ऐसी स्थिति को रोकने में सक्षम नहीं होगी।
बहरहाल, भोजन-सत्र के बाद वकीलों ने अपने मुंह से काली पट्टी हटा ली, जिसे उन्होंने अदालत में बांध रखा था।
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