ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी का सकंट गहराता जा रहा है. देश में हर तरह की गाड़ियों की बिक्री पिछले साल के मुकाबले घटती जा रही है. इस हफ्ते जारी ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक देश में कारों की बिक्री इस साल अप्रैल से अगस्त के बीच 29 फीसदी से ज़्यादा घट गयी है. नतीजा ये हुआ है कि ऑटो कंपनियां प्रोडक्शन घटाती जा रही हैं. जिस वजह से साढे तीन लाख से ज़्यादा अस्थायी वर्करों की नौकरी जा चुकी है. इस संकट का सबसे बुरा असर ऑटो पार्ट्स की मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों पर पड़ा है जिनके पास ऑर्डर आने लगभग बंद हो गये हैं. एनडीटीवी ने फरीदाबाद में एक ऑटो पार्ट्स की फैक्ट्री का दौरा किया जहां आर्डर 80% से 85% तक गिर गया है. फ़रीदाबाद के इंडस्ट्रियल एरिया में संदीप मल्ल एनएनएम ऑटो इंडस्ट्रीज़ प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक कंपनी चलाते हैं.
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उनका काम देश की बड़ी ऑटोमोबील कंपनियों के लिए कल पुर्ज़े बनाना है लेकिन पिछले कुछ महीनों से उनका कारोबार लगातार गिरता जा रहा है. कार कंपनियों से ऑर्डर आने लगभग बंद हो चुके हैं. संदीप मल्ल कहते हैं कि इंडियन ऑटोमोबाइल कंपनियों की तरफ से ऑटोे पार्ट्स के ऑर्डर 2018 के मुकाबले इस समय सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत ही रह गया है. यानी 80 से 85 फीसद ऑर्डर कम हो गया है. संदीप मल्ल पर दोहरी मार पड़ रही है.वो खेती से जुड़े उपकरण भी बनाते रहे हैं और इन्हें अमेरिका, यूरोप, चीन और पश्चिम एशियाई देशों को निर्यात करते रहे हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंदी की वजह से निर्यात के ऑर्डर भी बीस फीसदी तक घट गए हैं. ऊपर से निर्माण की लागत भी बढ़ती जा रही है. जीएसटी रिफंड में लगातार हो रही देरी ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. ऑटो निर्माण क्षेत्र में गिरावट पूरी अर्थव्यवस्था पर छाए मंदी के बादलों की ओर इशारा करती है.
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इसी हफ्ते सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल्स मैन्यूफैक्चर्स की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक हर तरह की गाड़ियों के प्रोडक्शन और बिक्री में गिरावट दर्ज़ हुई है.पिछले साल के अप्रैल-अगस्त के मुकाबले इस साल अप्रैल-अगस्त के दौरान कारों की बिक्री 29.41% गिरी है.पैसेंजर गाड़ियों की बिक्री में कुल गिरावट 23.54% रही, वहीं दो-पहिया गाड़ियों की बिक्री में गिरावट 14.85% रिकॉर्ड की गयी. जबकि थ्री-व्हीलर गाड़ियों की बिक्री इन पांच महीनों में 7.32% घट गयी. गाड़ियों के कलपुर्जे बनाने वाले उद्योग में इस गिरावट का असली ख़तरा तब समझ में आता है जब अर्थव्यवस्था में इसका हिस्सा पता लगता है. 2017-18 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में ये कारोबार कुल 51.2 अरब डॉलर का है. भारत की जीडीपी का 2.3% हिस्सा इसी से आता है और करीब 15 लाख लोग इससे सीधे या परोक्ष रूप से रोज़गार पाते हैं.
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