नई दिल्ली:
असम के वित्त मंत्री और राज्य बीजेपी के वरिष्ठ नेता हिमंता बिस्व सरमा ने उत्तर-पूर्वी राज्यों से अगले पांच साल में सेना की वापसी की बात कही है. सरमा का कहना है कि इन राज्यों से सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) कानून यानी अफस्पा को धीरे-धीरे हटाने के लिए रोड मैप तैयार करना चाहिए.
सरमा का बयान ऐसे वक्त आया है जब शनिवार को ही केंद्र सरकार ने असम और मेघालय के एक हिस्से में अफस्पा को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है. उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए बीजेपी की कमान संभालने वाले सरमा का ये बयान मणिपुर के आने वाले चुनावों की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहां अफस्पा को हटाने को लेकर लंबे समय से मांग हो रही है.
गोवा में इंडिया फ़ाउंडेशन के इंडिया आइडिया कॉनक्लेव में हिस्सा लेने आए सरमा ने एनडीटीवी से कहा कि इस क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए सेना के कई जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी है, लेकिन उन्हें लंबे समय तक स्थानीय प्रशासन के मुद्दों में उलझाए रखना ठीक नहीं है.
सरमा ने कहा कि "उनका मुख्य काम सीमाओं की सुरक्षा करना है. उन्हें विशेष परिस्थितियों में इन इलाक़ों में भेजा गया था. अब समय आ गया है कि स्थानीय बलों को मज़बूत किया जाए, ताकि अगले पांच साल में नागरिक क्षेत्रों से सेना की वापसी हो सके." सरमा ने कहा कि सेना स्थानीय पुलिस बल को मज़बूती देने में मदद कर सकती है. ये उन्हें उग्रवादियों से लड़ने में प्रशिक्षण दे सकती है.
इस साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने शांति बहाली के लिए लंबे समय तक अफस्पा के तहत सेना की तैनाती पर टिप्पणी की थी. मानवाधिकार कार्यकर्ता भी सेना की तथाकथित ज़्यादतियों को लेकर शिकायत करते आए हैं.
मणिपुर में अफस्पा के खिलाफ 15 साल से भूख हड़ताल कर रहीं इरोम शर्मिला ने इस साल अगस्त में भूख हड़ताल खत्म की थी. उन्होंने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
असम जीतने के बाद उत्तर-पूर्व में पैठ बना चुकी बीजेपी का नज़रें अब मणिपुर पर हैं. अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी पेमा खांडू की अगुवाई वाली पीपीए गठबंधन सरकार में शामिल हो चुकी है.
सरमा का बयान ऐसे वक्त आया है जब शनिवार को ही केंद्र सरकार ने असम और मेघालय के एक हिस्से में अफस्पा को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है. उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए बीजेपी की कमान संभालने वाले सरमा का ये बयान मणिपुर के आने वाले चुनावों की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहां अफस्पा को हटाने को लेकर लंबे समय से मांग हो रही है.
गोवा में इंडिया फ़ाउंडेशन के इंडिया आइडिया कॉनक्लेव में हिस्सा लेने आए सरमा ने एनडीटीवी से कहा कि इस क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए सेना के कई जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी है, लेकिन उन्हें लंबे समय तक स्थानीय प्रशासन के मुद्दों में उलझाए रखना ठीक नहीं है.
सरमा ने कहा कि "उनका मुख्य काम सीमाओं की सुरक्षा करना है. उन्हें विशेष परिस्थितियों में इन इलाक़ों में भेजा गया था. अब समय आ गया है कि स्थानीय बलों को मज़बूत किया जाए, ताकि अगले पांच साल में नागरिक क्षेत्रों से सेना की वापसी हो सके." सरमा ने कहा कि सेना स्थानीय पुलिस बल को मज़बूती देने में मदद कर सकती है. ये उन्हें उग्रवादियों से लड़ने में प्रशिक्षण दे सकती है.
इस साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने शांति बहाली के लिए लंबे समय तक अफस्पा के तहत सेना की तैनाती पर टिप्पणी की थी. मानवाधिकार कार्यकर्ता भी सेना की तथाकथित ज़्यादतियों को लेकर शिकायत करते आए हैं.
मणिपुर में अफस्पा के खिलाफ 15 साल से भूख हड़ताल कर रहीं इरोम शर्मिला ने इस साल अगस्त में भूख हड़ताल खत्म की थी. उन्होंने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
असम जीतने के बाद उत्तर-पूर्व में पैठ बना चुकी बीजेपी का नज़रें अब मणिपुर पर हैं. अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी पेमा खांडू की अगुवाई वाली पीपीए गठबंधन सरकार में शामिल हो चुकी है.
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