
शिवसेना ने किसानों की आय दोगुनी करने के पीएम मोदी के दावे को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा.
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कहा, सरकार की कभी न समाप्त होने वाली घोषणाओं और जुमलों से देश थक चुका
किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने की मोदी की घोषणा कोई नई नहीं
बीजेपी को सत्ता में लाने वाले किसान अब ‘कोमा’ में चले गए हैं
पीएम मोदी ने सीधा संवाद कार्यक्रम के तहत गत बुधवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए देशभर के 600 जिलों के किसानों से बात की थी. मोदी ने बताया था कि उनकी सरकार ने किस तरह से कृषि बजट को दोगुना करके 2.12 लाख करोड़ रुपये किया है और किस तरह से वह किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में काम कर रही है.
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पीएम मोदी के दावों को लेकर शिवसेना अपने मुखपत्र ‘सामना’में तीखा हमला किया. शिवसेना ने कहा कि वर्तमान सरकार की कभी न समाप्त होने वाली घोषणाओं और जुमलों से देश थक चुका है. सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि ‘देश वर्तमान सरकार की कभी न समाप्त होने वाली घोषणाओं और जुमलों से थक चुका है. किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने की प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा कोई नई नहीं है. बीजेपी ने 2014 के चुनावी घोषणा-पत्र में भी इसी का वादा किया था और इससे उसे सत्ता में आने में मदद मिली.'
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सामना में लिखा है ‘उन्होंने वही पुरानी कैसेट चलाई.’ शिवसेना ने कहा कि बीजेपी को सत्ता में लाने वाले किसान अब ‘ कोमा ’ में चले गए हैं. उसने कहा, किसानों की आय दोगुनी होने की जगह, उल्टे उनकी स्थिति और खराब हो गई है.
मराठी भाषा के दैनिक सामना में लिखा है कि मोदी को अपने संवाद में इसका खुलासा करना चाहिए था कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए गत चार वर्षों में क्या कदम उठाए गए हैं और क्या उनके लिए अच्छे दिन आ गए हैं. शिवसेना ने सवाल किया कि यदि मोदी सरकार ने नीतिगत निर्णय किए हैं तो वे जमीन पर प्रतिबिंबित क्यों नहीं हो रहे हैं.
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संपादकीय में लिखा है कि उत्पादन लागत बढ़ने और किसान उपज लेने वालों की कमी किसानों को परेशान कर रही है. शिवसेना ने दावा किया, ‘‘बैंक उद्योगपतियों के लिए रेड कार्पेट बिछाते हैं जो बैंकों को धोखा देते हैं. यद्यपि किसानों को पैसे नहीं मिलते. यह भेदभाव है. वर्तमान सरकार के कार्यकाल में किसानों की आय के बजाय उनकी आत्महत्या के मामले दोगुने हो गए हैं. 2014 से अभी तक 40 हजार किसनों ने आत्महत्या की है.’’
(इनपुट भाषा से)