यह ख़बर 09 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

बीजेपी अगर एनसीपी का समर्थन लेती है, तो शिवसेना महाराष्ट्र में विपक्ष में बैठेगी : उद्धव

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर शिवसेना अब भी पशोपेश में है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि बीजेपी अगर एनसीपी का समर्थन लेती है, तो शिवसेना महाराष्ट्र में विपक्ष में बैठेगी। हालांकि, शिवसेना ने यह कहकर मेल-मिलाप का दरवाजा भी खुला रखा है कि बीजेपी को इस मुद्दे पर दो दिन के अंदर स्थिति साफ करनी चाहिए।

पार्टी विधायकों की एक बैठक के बाद शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मध्य मुंबई स्थित सेना भवन में संवाददाताओं से कहा, 'शिवसेना आत्म-सम्मान की कीमत पर सत्ता की लालसा नहीं रखेगी। हम बीजेपी से नाता तोड़ने के पक्ष में नहीं है, लेकिन हम अकेले चलना भी जानते हैं।' उन्होंने कहा, 'अगर हम सत्ता के भूखे होते तो आज केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार में हमारे हाथ जो कुछ भी आया था उसे स्वीकार कर लेते।'

उद्धव ने साथ ही कहा कि अगर अगले दो दिन में (बीजेपी की ओर से) संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो हम विपक्ष में बैठेंगे।' उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि हिंदुत्ववादी ताकतों को बिखरना नहीं चाहिए। पर शरद पवार ने भाजपा को समर्थन का ऐलान किया है। एनसीपी नेता उन लोगों में शामिल थे जो इशरत जहां (साल 2004 में गुजरात में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ में मारी गई थी) के घर गए थे।' उद्धव ने कहा, 'अगर बीजेपी एनसीपी से समर्थन लेती है तो यह राज्य और देश का दुर्भाग्य होगा।' उन्होंने कहा, 'हिंदुत्व बलों को एकजुट रहना चाहिए और अगर बीजेपी एनसीपी के साथ जाना चाहती है तो हमारे रास्ते अलग-अलग होंगे।'

इससे पहले शिवसेना आज मंत्रिमंडल विस्तार के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुई। शपथ लेने जा रहे शिवसेना नेता अनिल देसाई को एयरपोर्ट से ही वापस बुला लिया गया।

शिवसेना सांसद अनिल देसाई के दिल्ली जाने और बिना शपथ लिए लौट आने के बारे में पूछे जाने पर उद्धव ने कहा, 'हमने उनसे (भाजपा) कहा था कि दो मानदंड, एक केंद्र के लिए और एक राज्य के लिए, नहीं हो सकते।' उन्होंने कहा, 'केंद्र में आप हमें अपने साथ ले रहे हैं पर राज्य में हमारी भूमिका के बारे में स्थिति स्पष्ट ही नहीं है।' वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल से अनंत गीते के इस्तीफे के सवाल पर उद्धव ठाकरे ने कहा, 'मैं सही समय पर सही फैसला लूंगा'।

बीजेपी और शिवसेना के बीच जारी गतिरोध में उस समय उबाल आता दिखा, जब नरेंद्र मोदी मंत्रिपरिषद के विस्तार में अनिल देसाई शामिल नहीं हुए। वहीं, शिवसेना नेता सुरेश प्रभु को कैबिनेट स्तर का मंत्री बनाया गया है।

पूर्व शिवसेना नेता सुरेश प्रभु को केंद्र में मंत्री बनाए जाने पर उद्धव ने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार पहली बार सत्ता में आई तो बाल ठाकरे ने प्रभु को मंत्री पद के लिए पार्टी की पसंद के तौर पर नामित किया था।

वहीं इस संबंध में पार्टी सांसद चंद्रकांत खैरे ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि यह सब क्षेत्रीय दलों को खत्म करने की साजिश है। उनका कहना है कि शिवसेना का अपमान किया जा रहा है कि जो बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। साथ ही उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ओर से शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से कोई बातचीत नहीं की गई है।

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खैरे ने कहा कि देसाई सुबह एयरपोर्ट आ गए थे और उन्होंने काफी देर तक इंतजार किया। इस प्रकार लगातार शिवसेना का अपमान हो रहा है। इस तरह कब तक ऐसा अपमान बर्दाश्त किया जाएगा।

इससे पहले गीते ने शनिवार रात प्रधानमंत्री से मुलाकात करने की कोशिश की थी और इसके बाद शिवसेना नेतृत्व ने उन्हें मुंबई बुला लिया था। गीते ने शनिवार को कहा था कि यह स्पष्ट नहीं है कि शिवसेना मोदी मंत्रिपरिषद के विस्तार का हिस्सा होगी या नहीं, लेकिन सुबह इसके स्पष्ट संकेत आए थे कि देसाई मंत्री पद की शपथ लेंगे और इसके लिए वह मुंबई से रवाना भी हो गए थे।

शिवसेना चाहती थी कि बीजेपी महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस सरकार में उसके शामिल होने से जुड़े अनसुलझे मुद्दों को पहले हल करे। उद्धव ठाकरे ने मांग की थी कि फडणवीस सरकार के विश्वास मत से पहले उनकी पार्टी को राज्य सरकार में शामिल किया जाए।

शिवसेना बीजेपी की पुरानी सहयोगी रही है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सीटों के तालमेल के मुद्दे को लेकर राज्य में दोनों का 25 साल पुराना गठबंधन टूट गया था। (भाषा से इनपुट के साथ)