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This Article is From Dec 25, 2012

पीड़िता के बयान पर दीक्षित व दिल्ली पुलिस की तकरार बढ़ी

नई दिल्ली: बलात्कार पीड़िता का बयान दर्ज करने के दौरान हस्तक्षेप के आरोप को लेकर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और दिल्ली पुलिस के बीच टकराव मंगलवार को और बढ़ गया। मुख्यमंत्री ने बयान दर्ज करने के समय हस्तक्षेप करने के लिए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के खिलाफ उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच की मांग की।

16 दिसंबर को चलती बस में छह लोगों के सामूहिक दुष्कर्म की शिकार बनी 23 वर्षीया महिला का बयान एक एसडीएम ने दर्ज किया था।

दिल्ली पुलिस ने हस्तक्षेप के आरोपों से इनकार करते हुए एसडीएम पर बयान दर्ज करते समय बेरुखी बरतने का आरोप लगाया है। मंगलवार को पीड़िता का बयान न्यायिक दंडाधिकारी ने दर्ज किया। बयान का ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया गया है।

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से अपील की है। दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में एसडीएम उषा चतुर्वेदी की शिकायत का उल्लेख किया है। चतुर्वेदी ने ही सफदरजंग अस्पताल जा कर पीड़िता का बयान दर्ज किया था।

चतुर्वेदी की शिकायत पुलिस उपायुक्त (पूर्वी) बी.एम. मिश्र ने शीला दीक्षित को अग्रसारित की है। किसी का नाम लिए बगैर मिश्र ने बताया कि चतुर्वेदी को एक सहायक पुलिस आयुक्त और एक उपायुक्त के हस्तक्षेप का सामना करना पड़ा। चतुर्वेदी ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उन्हें एक प्रश्नावली देकर उसीके मुताबिक बयान दर्ज करने का दबाव बनाया। इसके अलावा पुलिस ने बयान की वीडियोग्राफी नहीं करने का दबाव डाला।

दूसरी ओर, मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर दिल्ली पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने आरोपों खारिज करते हुए कहा कि एसडीएम ने शुरू में कहा कि वे व्यस्त हैं और 6 बजे शाम का समय दिया था। बाद में उन्होंने कहा कि उनपर दबाव है इसलिए वह अब 5 बजे आएंगी।

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