पटना:
बीजेपी नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात करने पर सफाई देते हुए कहा कि यह सिर्फ
एक शिष्टाचार भेंट थी। इसके साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी के प्रति निष्ठा जताई, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि भविष्य में क्या हो, कौन जानता है।
शत्रुघ्न की नीतीश से मुलाकात के बाद अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं। हालांकि इस पर सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, 'मैंने नीतीश कुमार से उनके आवास पर मुलाकात की, क्योंकि उनके साथ मेरे निजी और पारिवारिक संबंध हैं। हम पहले भी अक्सर मुलाकात करते रहे हैं, इसलिए इस बैठक को लेकर इतना हो-हल्ला क्यों हो रहा है?'
पटना साहिब से बीजेपी सांसद सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे के कुछ ही घंटे बाद नीतीश कुमार से मुलाकात की, जिसके बाद से बीजेपी में उनके भविष्य को लेकर अटकलें शुरू हो गईं। सिन्हा के बारे में माना जाता है कि वह इस बात को लेकर नाखुश हैं कि उन्हें मोदी सरकार में शामिल नहीं किया गया है। हालांकि उन्होंने नाराज़गी की ख़बर को सिरे से ख़ारिज कर दिया। शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि उनकी पहचान मंत्री पद से नहीं, बल्कि उनके व्यक्तित्व से है। उन्होंने कहा कि वो पार्टी की मर्यादा की सीमा जानते हैं और उसे कभी नहीं लांघेंगे।
उन्होंने जेडीयू में जाने की संभावना को भी खारिज करते हुए कहा कि मैं बीजेपी में था, हूं और रहूंगा... मैंने ऐसी कोई बात नहीं की, जिससे मेरी पार्टी को नुकसान हो, मैं मर्यादा का पूरा ख्याल रखता हूं। शत्रुघ्न ने कहा, मैं किसी रेस में नहीं हूं, न मुख्यमंत्री बनने की इच्छा है, न अपेक्षा है। पार्टी जो भूमिका देगी निभाऊंगा।
हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कहा 'कल किसने देखा है। मुझे नहीं पता कि कल मुझे पार्टी की ओर से बाहर कर दिया जाएगा या गले लगाया जाएगा... मैंने इस बारे में नहीं सोचा है।' उन्होंने कहा, मुझे कोई गले लगाएगा या निकाला जाएगा पता नहीं, मैं तो चाहता हूं बीजेपी का सीएम बने।
यह पूछे जाने पर कि पार्टी उन्हें नजरंदाज क्यों कर रही है, सिन्हा ने कहा, 'यह सही नहीं है। पार्टी मुझे नजरंदाज नहीं कर रही लेकिन कुछ लोग मेरे खिलाफ काम कर रहे हैं जो कि मेरी लोकप्रियता से डरते हैं।'
शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी संरक्षक लालकृष्ण आडवाणी के करीबी माने जाते हैं, जिन्हें भी बीजेपी में निर्णय लेने की प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी नीत एनडीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं। (एजेंसी इनपुट के साथ)
एक शिष्टाचार भेंट थी। इसके साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी के प्रति निष्ठा जताई, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि भविष्य में क्या हो, कौन जानता है।
शत्रुघ्न की नीतीश से मुलाकात के बाद अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं। हालांकि इस पर सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, 'मैंने नीतीश कुमार से उनके आवास पर मुलाकात की, क्योंकि उनके साथ मेरे निजी और पारिवारिक संबंध हैं। हम पहले भी अक्सर मुलाकात करते रहे हैं, इसलिए इस बैठक को लेकर इतना हो-हल्ला क्यों हो रहा है?'
पटना साहिब से बीजेपी सांसद सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे के कुछ ही घंटे बाद नीतीश कुमार से मुलाकात की, जिसके बाद से बीजेपी में उनके भविष्य को लेकर अटकलें शुरू हो गईं। सिन्हा के बारे में माना जाता है कि वह इस बात को लेकर नाखुश हैं कि उन्हें मोदी सरकार में शामिल नहीं किया गया है। हालांकि उन्होंने नाराज़गी की ख़बर को सिरे से ख़ारिज कर दिया। शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि उनकी पहचान मंत्री पद से नहीं, बल्कि उनके व्यक्तित्व से है। उन्होंने कहा कि वो पार्टी की मर्यादा की सीमा जानते हैं और उसे कभी नहीं लांघेंगे।
उन्होंने जेडीयू में जाने की संभावना को भी खारिज करते हुए कहा कि मैं बीजेपी में था, हूं और रहूंगा... मैंने ऐसी कोई बात नहीं की, जिससे मेरी पार्टी को नुकसान हो, मैं मर्यादा का पूरा ख्याल रखता हूं। शत्रुघ्न ने कहा, मैं किसी रेस में नहीं हूं, न मुख्यमंत्री बनने की इच्छा है, न अपेक्षा है। पार्टी जो भूमिका देगी निभाऊंगा।
हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कहा 'कल किसने देखा है। मुझे नहीं पता कि कल मुझे पार्टी की ओर से बाहर कर दिया जाएगा या गले लगाया जाएगा... मैंने इस बारे में नहीं सोचा है।' उन्होंने कहा, मुझे कोई गले लगाएगा या निकाला जाएगा पता नहीं, मैं तो चाहता हूं बीजेपी का सीएम बने।
यह पूछे जाने पर कि पार्टी उन्हें नजरंदाज क्यों कर रही है, सिन्हा ने कहा, 'यह सही नहीं है। पार्टी मुझे नजरंदाज नहीं कर रही लेकिन कुछ लोग मेरे खिलाफ काम कर रहे हैं जो कि मेरी लोकप्रियता से डरते हैं।'
शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी संरक्षक लालकृष्ण आडवाणी के करीबी माने जाते हैं, जिन्हें भी बीजेपी में निर्णय लेने की प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी नीत एनडीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं। (एजेंसी इनपुट के साथ)
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