दुर्गा पूजा से पहले दादरी घटना पर शर्मिला टैगोर का लेख और अब ट्विटर पर मचा बवाल

दुर्गा पूजा से पहले दादरी घटना पर शर्मिला टैगोर का लेख और अब ट्विटर पर मचा बवाल

शर्मिला टैगोर (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

बीते दौर की अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने बंगाल के जाने-माने अखबार आनंद बाजार पत्रिका में दुर्गा पूजा से ठीक पहले एक लिखा जिसमें उन्होंने पुरजोर तर्कों से यह बताने का प्रयास किया है कि उत्तर प्रदेश के दादरी की घटना और देश में कुछ लेखकों पर हमले के बाद उन्हें इमरजेंसी की याद आ रही है। उनके लम्बे चौड़े लेख जिसमें उन्होंने तमाम सामाजिक मुद्दों को उठाया और यह बताने का प्रयास किया कि लेखकों पर हमले या कहें असहिष्णु व्यवहार बढ़ा है तथा सांप्रदायिक माहौल बन रहा है।

उनके इस लेख के जवाब में तीन लोगों ने एक खुली चिट्ठी लिखी और एक के बाद एक बातों को ऐसा जवाब दिया कि शर्मिला टैगोर ट्विटर पर ट्रेंड करने लगीं। इस लेख को शाश्वती सरकार, सन्मुख और दिग्गज ने लिखा है। तमाम लोगों ने लेख को पढ़ा और ट्विटर पर शेयर कर कहा कि जवाब दिया है।

कुछ लोग शर्मिला का बचाव भी करते दिखे तो बहुतों को लेख शानदार और जबरदस्त लगा। ट्विटर पर तमाम लोगों ने उन्हें यह याद दिलाया कि उन्हें क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी से शादी करने के लिए अपना नाम और धर्म दोनों बदलना पड़ा था। शादी से पहले इस्लाम कबूलने के बाद शर्मिला टैगोर का नाम बेगम आएशा सुल्ताना रखा गया था।

लोगों ने यहां तक कहा है कि अब शर्मिला टैगोर की सपरिवार घर वापसी का समय आ गया है। कुछ लोगों ने कहा कि जिस इमरजेंसी की याद उन्हें आज आ रही है उसी इमरजेंसी को लगाने वाली कांग्रेस पार्टी के टिकट पर उनके पति चुनाव लड़ चुके थे और पिछले चुनाव में शर्मिला टैगोर को भी कांग्रेस पार्टी का टिकट दिए जाने की बात चल रही थी।

कुछ लोग तो यह भी सवाल कर रहे हैं कि आखिर क्यों शर्मिला टैगोर ने अपने वर्तमान नाम का प्रयोग न कर पूर्व के नाम से लेख लिखा। ये लोग इसे अन्य लोगों को मूर्ख बनाने के प्रयास के रूप में भी देख रहे हैं। कुछ लोग तो अब आएशा सुल्ताना के जवाबी लेख का इंतजार कर रहे हैं।

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रक्षा विशेषज्ञ सुशांत सरीन ने तो यहां तक कह दिया कि शर्मिला टैगोर इस लेख का जवाब नहीं दे सकेंगी।


मिनहाज मर्चेंट का कहना है कि इस लेख ने तथाकथित सेक्युलर लोगों के सच को उजागर कर दिया है। मिनहाज मर्चेंट ने राजीव गांधी और आदित्य बिड़ला की बायोग्राफी लिखी है और एक वरिष्ठ पत्रकार हैं।
मेल टुडे के मैनेजिंग एडिटर अभिजित मजुमदार ने ट्वीट कर कहा है कि शर्मिला टैगोर ने दादरी का अच्छा उल्लेख किया, लेकिन पूछा है कि क्या शर्मिला ने कमुदनी (कमदुनी, जो उनके ट्वीट में लिखा है) गैंगरेप और मर्डर के बारे में सुना है? मजूमदार ने तो विकीपीडिया से ज्ञान लेने की सलाह तक दे डाली है। मजूमदार के ट्वीट पर कुछ लोगों ने कमुदनी का मामला उठाने पर सवाल भी दागा जिसका जवाब मजूमदार ने दिया और बताया कि इस मामले का राजनीतिक रंग भी है और सांप्रदायिक भी। लेकिन इसकी कवरेज इस प्रकार की नहीं रही।
कांग्रेस से जुड़े रचित सेठ ने कहा कि संघी (आरएसएस से जुड़े) लोग शर्मिला टैगोर का विरोध कर रहे हैं। कोई हेमा मालिनी, मुख्तार अब्बास नकवी, शहनवाज हुसैन और आडवाणी की भतीजी पर सवाल नहीं उठाता। शाश्वती सरकार जो कि लेख लिखने वाली भी हैं ने भी तमाम ट्वीट कर कई प्रश्नों के जवाब दिए हैं।