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This Article is From Aug 05, 2018

एनआरसी के मुद्दे पर सरकार को सभी दलों के साथ मिलकर 'सर्वसम्मत रास्ता' निकालना चाहिये था : शरद यादव

शरद यादव ने कहा भारतीय उपमहाद्वीप में कई लोग यहां आए और यहां से गए. यहां तिब्बत के लोग आये. जब देश बंटा तो कितने बांग्लादेशी यहां आये और कितने लोग यहां से बांग्लादेश गये.

एनआरसी के मुद्दे पर सरकार को सभी दलों के साथ मिलकर 'सर्वसम्मत रास्ता' निकालना चाहिये था : शरद यादव
फाइल फोटो
नई दिल्ली: लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव का कहना है कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) घोषित करने से पहले सरकार को इस मामले में सभी दलों के साथ विचार विमर्श कर कोई ‘सर्वसम्मत रास्ता’ निकालना था. यादव ने एक मुलाकात में कहा, ‘‘असम की समस्या पर सर्वदलीय बैठक बुलाकर सरकार को इसके हल के लिये कोई सर्वसम्मत रास्ता तलाशना था. ये मैं मानता हूं कि असम का मामला है, लेकिन इसका लोकतंत्र पर असर हुआ है. उसका न्याय संगत तरीके से हल निकालना चाहिये. लेकिन लगता नहीं है कि इस सरकार के रहते इंसाफ होगा.’’ 
 

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उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप में कई लोग यहां आए और यहां से गए. यहां तिब्बत के लोग आये. जब देश बंटा तो कितने बांग्लादेशी यहां आये और कितने लोग यहां से बांग्लादेश गये. पाकिस्तान बना तो कितने लोग यहां से गये जो वहां मुहाजिर कहलाये और कितने सिख यहां आये. ये आबादियां इधर से उधर सबसे ज्यादा इस देश में ही हुई हैं. अफसोस है कि इस पर संसद में ठीक से बहस नहीं चल रही है. किस तारीख को कौन यहां आया है, ये यदि हम ढूंढेंगे तो देश तबाह हो जायेगा. 
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शीर्ष अदालत द्वारा एसटी एससी एक्ट को कमजोर करने के निर्णय को रद्द करने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा मंत्रिपरिषद में नये अध्यादेश को स्वीकृति देने और संसद में लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी दलों के समर्थन से दलित और पिछड़े वर्ग के 2 अप्रैल को हुए और आगामी 9 अगस्त को होने वाले भारत बंद के दबाव में आकर यह निर्णय लिया गया है. अम्बेडकरवादियों, शरद पवार सहित सभी दलों का 9 अगस्त को होने वाले भारत बंद को समर्थन हासिल होने की वजह से सरकार, पहले ही इस अध्यादेश को ले आई.




(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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