
जनता दल (यूनाइटेड) के बागी नेता शरद यादव (फाइल फोटो)
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अगस्त में शरद यादव को राज्यसभा में जेडीयू के नेता के पद से हटाया गया था
पार्टी के खिलाफ जाकर लालू की रैली में शामिल हुए थे शरद यादव
नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने से नाराज हैं शरद
गौरतलब है कि जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने नवंबर में राज्यसभा के सभापति के सामने इन दोनों नेताओं के पार्टी विरोधी कामों के कारण उनकी सदस्यता को रद्द कराने का प्रस्ताव रखा था. 17 नवंबर को चुनाव आयोग ने नीतीश कुमार को पार्टी अध्यक्ष मानते हुए उन्हें पार्टी का चुनाव चिन्ह 'तीर' रखने का निर्देश दिया था. इसके बाद ही माना जा रहा था कि इन दोनों नेताओं को अपनी सदस्यता से हाथ धोना पड़ सकता है.
अगस्त में ही जेडीयू ने शरद यादव को राज्यसभा में पार्टी के नेता के पद से हटा दिया था और उनकी जगह आरसीपी सिंह को नेता बनाया गया था. नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होकर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद से ही शरद यादव उनसे नाराज चल रहे थे. पार्टी नेताओं के खिलाफ जाकर उन्होंने राजद प्रमुख लालू प्रसाद की 'बीजेपी भगाओ देश बचाओ' रैली में हिस्सा लिया था और उसके मंच से नीतीश कुमार पर निशाना भी साधा था.
VIDEO: जेडीयू नीतीश की, शरद यादव की नहीं
उन्होंने पार्टी पर वर्चस्व को लेकर लड़ाई भी लड़ी लेकिन उनके दावेदारी को चुनाव आयोग ने भी नहीं माना. चुनाव आयोग ने पार्टी के चुनाव चिन्ह पर सुनवाई के बाद माना था विधायक और संसदीय दल के अलावा जेडीयू के राष्ट्रीय परिषद में नीतीश कुमार का समर्थन और वर्चस्व है. जिसके आधार पर आयोग ने शरद यादव की उस दलील को ख़ारिज कर दिया था कि उनका गुट असली जनता दल यूनाइटेड है और चुनाव चिन्ह पर उनका अधिकार है.
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