रईस फिल्म का पोस्टर.
नई दिल्ली:
शाहरुख खान की 25 जनवरी को रिलीज हुई फिल्म 'रईस' के बारे में कहा जा रहा है कि इस फिल्म में सुपरस्टार का किरदार कुछ हद तक गुजरात के 'डॉन' अब्दुल लतीफ से प्रेरित है. कुछ समय पहले अब्दुल लतीफ के बेटे मुश्ताक शेख ने इस संबंध में केस भी किया था कि उनके पिता का गलत चित्रण रुपहले पर्दे पर किया जा रहा है. हालांकि शाहरुख समेत फिल्म निर्माता राहुल ढोलकिया ने बार-बार जोर देकर कहा है कि इस फिल्म का किरदार अब्दुल लतीफ से प्रेरित नहीं है.
अब्दुल लतीफ के बारे में कहा जाता है कि उसने बहुत कम उम्र में गुजरात में शराब के अवैध कारोबार की दुनिया में कदम रखा और 1980 के दशक में पूरे गुजरात में इस धंधे में उसका एकछत्र राज कायम हो गया. इस तरह एक छोटे-मोटे अपराधी से उसका रुतबा अंडरवर्ल्ड की दुनिया में 'डॉन' का हो गया.
जैसे-जैसे उसका कद बढ़ता गया, उसके काले कारोबार का साम्राज्य भी फैलता गया. शराब के काले कारोबार के अलावा, हवाला, जमीन के सौदों, अपहरण और कांट्रेक्ट किलिंग में भी उसकी भूमिका कथित रूप से मानी जाती है. उसके जीवनकाल में 97 केस उस पर दर्ज थे. उनमें से 40 से अधिक हत्या के मामले थे. उसका अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम से नाता माना जाता है और 1993 के मुंबई बम धमाकों में उसकी भूमिका संदिग्ध मानी जाती है.
हालांकि इसके साथ ही अब्दुल लतीफ के रॉबिन हुड स्टाइल के भी कई किस्से हैं. उसके बारे में कहा जाता है कि वह गरीबों को आर्थिक मदद देने के साथ मुस्लिम युवाओं को रोजगार दिलाने में भी सहायता करता था. 1995 में अब्दुल लतीफ को दिल्ली से गिरफ्तार कर गुजरात की साबरमती जेल पहुंचाया गया. 1997 में जब वह कथित रूप से जेल से भागने की कोशिश कर रहा था तब नरोदा पटिया में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया.
अब्दुल लतीफ के बारे में कहा जाता है कि उसने बहुत कम उम्र में गुजरात में शराब के अवैध कारोबार की दुनिया में कदम रखा और 1980 के दशक में पूरे गुजरात में इस धंधे में उसका एकछत्र राज कायम हो गया. इस तरह एक छोटे-मोटे अपराधी से उसका रुतबा अंडरवर्ल्ड की दुनिया में 'डॉन' का हो गया.
जैसे-जैसे उसका कद बढ़ता गया, उसके काले कारोबार का साम्राज्य भी फैलता गया. शराब के काले कारोबार के अलावा, हवाला, जमीन के सौदों, अपहरण और कांट्रेक्ट किलिंग में भी उसकी भूमिका कथित रूप से मानी जाती है. उसके जीवनकाल में 97 केस उस पर दर्ज थे. उनमें से 40 से अधिक हत्या के मामले थे. उसका अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम से नाता माना जाता है और 1993 के मुंबई बम धमाकों में उसकी भूमिका संदिग्ध मानी जाती है.
हालांकि इसके साथ ही अब्दुल लतीफ के रॉबिन हुड स्टाइल के भी कई किस्से हैं. उसके बारे में कहा जाता है कि वह गरीबों को आर्थिक मदद देने के साथ मुस्लिम युवाओं को रोजगार दिलाने में भी सहायता करता था. 1995 में अब्दुल लतीफ को दिल्ली से गिरफ्तार कर गुजरात की साबरमती जेल पहुंचाया गया. 1997 में जब वह कथित रूप से जेल से भागने की कोशिश कर रहा था तब नरोदा पटिया में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया.
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