अहमदाबाद:
गुजरात में 'गुजरात बोर्ड' के स्कूल अभी सोमवार से ही शुरू हुए हैं, लेकिन शुरुआत में ही प्राइमरी स्कूल के छात्रों को तगड़ा झटका लग गया है। गुजरात बोर्ड के स्कूल की किताबों के दाम दोगुने से भी ज्यादा बढ़ गए हैं। इन किताबों को राज्य सरकार टेक्स्ट बुक बोर्ड छापता है। प्राइमरी की सभी किताबों की कीमतें दोगुने से भी ज्यादा बढ़ी हैं।
बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि पहले ही स्कूल युनिफॉर्म से लेकर स्कूल फीस तक में बढ़ोत्तरी हुई है और ऐसे में स्कूल बोर्ड ने किताबों में भी भारी बढ़ोत्तरी करके परेशान कर दिया है।
हालांकि मिडल क्लास के छात्रों को शायद ये महंगाई इतनी नहीं परेशान करेगी, जितनी गरीब छात्रों को। लोगों का कहना है कि गरीब छात्रों की पढ़ाई पर इसका असर पड़ेगा।
विपक्षी दल कांग्रेस का आरोप है कि राज्य सरकार इन किताबों की क्वालिटी पर ध्यान नहीं दे रही है। हर साल इन किताबों में कई गलतियां पाई जाती हैं और इनमें उपयोग किए जाने वाले कागज़ की क्वालिटी भी गिर रही है। सरकार उसे सुधार नहीं रही है, लेकिन दाम बढ़ा रही है।
लेकिन सरकारी किताबें बनाने के ज़िम्मेदार स्कूल टेक्स्ट बुक्स बोर्ड के अध्यक्ष नितिन खेतानी का कहना है कि 10 साल से उन्होंने किताबों के दाम नहीं बढ़ाए थे और इतने समय में महंगाई बहुत बढ़ गई है। इसलिए दाम बढ़ाने के अलावा कोइ चारा नहीं था।
दाम तो बढ़ गए हैं, कहीं इससे बच्चों की पढ़ाई ही खटाई में ना पड़ जाए, वैसे भी गुजरात शिक्षा के क्षेत्र में पिछडा हुआ है और सरकार को इस मामले में बड़ी जिम्मेदारी से काम लेना होगा।
बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि पहले ही स्कूल युनिफॉर्म से लेकर स्कूल फीस तक में बढ़ोत्तरी हुई है और ऐसे में स्कूल बोर्ड ने किताबों में भी भारी बढ़ोत्तरी करके परेशान कर दिया है।
हालांकि मिडल क्लास के छात्रों को शायद ये महंगाई इतनी नहीं परेशान करेगी, जितनी गरीब छात्रों को। लोगों का कहना है कि गरीब छात्रों की पढ़ाई पर इसका असर पड़ेगा।
विपक्षी दल कांग्रेस का आरोप है कि राज्य सरकार इन किताबों की क्वालिटी पर ध्यान नहीं दे रही है। हर साल इन किताबों में कई गलतियां पाई जाती हैं और इनमें उपयोग किए जाने वाले कागज़ की क्वालिटी भी गिर रही है। सरकार उसे सुधार नहीं रही है, लेकिन दाम बढ़ा रही है।
लेकिन सरकारी किताबें बनाने के ज़िम्मेदार स्कूल टेक्स्ट बुक्स बोर्ड के अध्यक्ष नितिन खेतानी का कहना है कि 10 साल से उन्होंने किताबों के दाम नहीं बढ़ाए थे और इतने समय में महंगाई बहुत बढ़ गई है। इसलिए दाम बढ़ाने के अलावा कोइ चारा नहीं था।
दाम तो बढ़ गए हैं, कहीं इससे बच्चों की पढ़ाई ही खटाई में ना पड़ जाए, वैसे भी गुजरात शिक्षा के क्षेत्र में पिछडा हुआ है और सरकार को इस मामले में बड़ी जिम्मेदारी से काम लेना होगा।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं