नई दिल्ली: पक्षियों को उड़ने का मौलिक अधिकार है या नहीं - इस सवाल का जवाब अब सुप्रीम कोर्ट में मिल सकता है। सुप्रीम कोर्ट अब यह तय करेगा कि पक्षियों को उड़ने का मौलिक अधिकार है या नहीं। इस मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
दरअसल साल 2011 में गुजरात सरकार ने एक याचिका की सुनवाई पर यह आदेश दिया था कि हर पक्षी को आसमान में उड़ने का मौलिक अधिकार है इसलिए किसी भी पक्षी को पिंजरे में कैद नहीं रखा जा सकता। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि ये बात भी मायने नहीं रखती कि पिंजरा कैसा है। हाईकोर्ट ने ये भी आदेश जारी किए थे कि अगर कोई पक्षी बेचते हुए पकड़ा जाए तो उसे पिंजरे से आजाद कर दिया जाए।
इसी आदेश के खिलाफ अब पेट लवर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश सलमान खुर्शीद ने कहा कि कानून में पहले से ही तय है कि वाइल्ड केटेगरी मे आने वाले पक्षियों को घरेलू तौर पर पाला नहीं जा सकता। जबकि कई श्रेणी के पक्षी हैं जो घरेलू होते हैं और अगर उन्हें छोड़ दिया जाए तो बड़े पक्षी उन्हें मार देते हैं। वैसे भी लोग पक्षियों को अपने घर के सदस्यों की तरह रखते हैं। ऐसे में हाईकोर्ट का यह आदेश सही नहीं हैं, सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की बेंच ने गुजरात सरकार और हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल करने वाले को नोटिस देकर जवाब मांगा है।