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This Article is From Jan 20, 2011

गुजरात दंगों में विदेशी दखल की जरूरत नहीं : SC

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी संगठनों में गुजरात दंगों का मुद्दा बुलंद करने पर सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की गुरुवार को तीखी आलोचना की। न्यायमूर्ति डीके जैन की अध्यक्षता वाली एक विशेष पीठ ने कहा, हम यह पसंद नहीं करते कि अन्य संगठन हमारे कामकाज में दखल दें। हम खुद उन्हें निबटा सकते हैं और दूसरों से दिशा-निर्देश नहीं ले सकते। यह हमारे काम काज में सीधा दखल है। हम इसे पसंद नहीं कर सकते। अदालत इससे नाराज थी कि तीस्ता की अध्यक्षता वाले गैर-सरकारी संगठन सेंटर फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने जिनेवा आधारित मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय से संपर्क कर गुजरात दंगों के गवाहों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। पीठ ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि इस अदालत से ज्यादा विदेशी संगठनों पर आपका भरोसा है। ऐसा लगता है कि गवाहों की सुरक्षा इन संगठनों से होगी। पीठ ने कहा कि अगर इस तरह के पत्र लिखे जाएंगे, तो अदालत सीजेपी की दलीलें सुने बिना आदेश पारित करेगी। अदालत ने कहा, अगर आप इस तरह के पत्र भेजेंगे, तो हम न्यायमित्र की दलीलें सुनेंगे और (आपकी दलीलें सुने बगैर) आदेश पारित करेंगे। पीठ ने कहा, तमाम मामलों की हम निगरानी कर रहे हैं, हम विदेशी एजेंसियों के साथ उनका (तीस्ता का) पत्राचार पसंद नहीं करते। यह मुद्दा पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पेश किया, जो 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में न्यायमित्र के रूप में अदालत की सहायता कर रहे हैं। सीजेपी की अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने कहा कि भविष्य में इस तरह का कोई पत्र अन्य संगठनों को नहीं भेजा जाएगा।

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