भारतीय की सर्वोच्च कोर्ट ने अनुच्छेद 370 पर केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस भेजा है। एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह नोटिस भेजा है।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि हमें इस पर विचार करना चाहिए कि अनुच्छेद 370 की जरूरत है या नहीं। इस पर संसद में बहस होनी चाहिए।
क्या है अनुच्छेद 370?
भारतीय संविधान की अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करता है।
अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू और कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए।
इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू और कश्मीर राज्य पर संविधान की अनुच्छेद 356 लागू नहीं होती।
इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है।
1976 का शहरी भूमि कानून जम्मू और कश्मीर पर लागू नहीं होता। इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू और कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
भारतीय संविधान की अनुच्छेद 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू और कश्मीर पर लागू नहीं होती।
मोदी का यह बयान भाजपा की सोची समझी रणनीति का एक हिस्सा हो सकता है क्योंकि पार्टी शुरू से ही राममंदिर निर्माण, अनुच्छेद 370 और समान नागरिक संहिता को अपने घोषणा-पत्र में शामिल करती रही है।
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