नई दिल्ली:
सूचना के अधिकार से जुड़े अपने ही एक आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयुक्तों और राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में यह फैसला दिया था।
हमारे संवाददाता के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने एक फैसले में कहा कि सूचना आयोग में गैर-न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति हो सकती है। नियुक्ति के दौरान विज्ञान और पत्रकारिता से जुड़े गणमान्य लोगों को भी आयोग में शामिल करने पर ध्यान दिया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर आयोग के सामने कानून से जुड़े कठिन सवाल आते हैं तो उन्हें कानून की गहरी जानकारी रखने वाले लोगों को सुनना चाहिए। इससे पहले सितंबर 2012 में दिए अपने फैसले में कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों को केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों में नियुक्त करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने आज माना कि उसके इस आदेश में कमियां थीं। इस आदेश के खिलाफ सूचनाधिकार कार्यकर्ताओं और केंद्र सरकार ने याचिका दायर कर इसकी समीक्षा की मांग की थी।
हमारे संवाददाता के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने एक फैसले में कहा कि सूचना आयोग में गैर-न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति हो सकती है। नियुक्ति के दौरान विज्ञान और पत्रकारिता से जुड़े गणमान्य लोगों को भी आयोग में शामिल करने पर ध्यान दिया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर आयोग के सामने कानून से जुड़े कठिन सवाल आते हैं तो उन्हें कानून की गहरी जानकारी रखने वाले लोगों को सुनना चाहिए। इससे पहले सितंबर 2012 में दिए अपने फैसले में कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों को केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों में नियुक्त करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने आज माना कि उसके इस आदेश में कमियां थीं। इस आदेश के खिलाफ सूचनाधिकार कार्यकर्ताओं और केंद्र सरकार ने याचिका दायर कर इसकी समीक्षा की मांग की थी।
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