राकेश अस्थाना (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना को सीबीआई का विशेष निदेशक बनाने के खिलाफ दाखिल क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है.सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति को चुनौती देने वाले फैसले पर फिर से विचार करने से इनकार किया. इस मामले की सुनवाई चेंबर में हुई.
28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना सीबीआई के विशेष निदेशक बने रहेंगे. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी गई. ये याचिका कॉमन कॉज ने दाखिल की थी.
गौरतलब है कि गत अक्टूबर महीने में अस्थाना को सरकार ने छुट्टी पर भेज दिया था, इसके कुछ घंटों बाद ही सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को भी छुट्टी पर भेज दिया गया. अस्थाना ने आलोक वर्मा पर रिश्वतखोरी का ओराप लगाया था. वहीं वर्मा ने भी अस्थाना पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया था.
यह भी पढ़ें : CBI स्पेशल डायरेक्टर पद पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल भी उनकी नियुक्ति को चुनौती दी गई थी. 28 नवंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था. कहा था कि अस्थाना सीबीआई के विशेष निदेशक बने रहेंगे. यह याचिका गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज ने दाखिल की थी, जिसकी तरफ से वकील प्रशांत भूषण ने दलील पेश की थी. याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और एएम सप्रे की पीठ ने की थी. सरकार ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल कोर्ट में पेश हुए थे और उन्होंने इस याचिका का विरोध किया था.
VIDEO : आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई
उस वक्त एनजीओ की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि अस्थाना की नियुक्ति इसलिए गैरकानूनी है क्योंकि आयकर विभाग की एक छापेमारी के दौरान मिली डायरी में उनका नाम सामने आया है. उन्होंने कहा कि डायरी में ऐसा जिक्र है कि अस्थाना को एक कंपनी की ओर से गैरकानूनी फायदा मिला है. और हाल में सीबीआई ने उस आरोपी कंपनी और कुछ सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ धनशोधन संबंधी प्राथमिकी दर्ज की है. इस पर अटॉर्नी जनरल ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि सीबीआई की प्राथमिकी में अस्थाना का नाम नहीं है और उनका करियर शानदार रहा है.
28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना सीबीआई के विशेष निदेशक बने रहेंगे. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी गई. ये याचिका कॉमन कॉज ने दाखिल की थी.
गौरतलब है कि गत अक्टूबर महीने में अस्थाना को सरकार ने छुट्टी पर भेज दिया था, इसके कुछ घंटों बाद ही सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को भी छुट्टी पर भेज दिया गया. अस्थाना ने आलोक वर्मा पर रिश्वतखोरी का ओराप लगाया था. वहीं वर्मा ने भी अस्थाना पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया था.
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सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल भी उनकी नियुक्ति को चुनौती दी गई थी. 28 नवंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था. कहा था कि अस्थाना सीबीआई के विशेष निदेशक बने रहेंगे. यह याचिका गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज ने दाखिल की थी, जिसकी तरफ से वकील प्रशांत भूषण ने दलील पेश की थी. याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और एएम सप्रे की पीठ ने की थी. सरकार ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल कोर्ट में पेश हुए थे और उन्होंने इस याचिका का विरोध किया था.
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उस वक्त एनजीओ की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि अस्थाना की नियुक्ति इसलिए गैरकानूनी है क्योंकि आयकर विभाग की एक छापेमारी के दौरान मिली डायरी में उनका नाम सामने आया है. उन्होंने कहा कि डायरी में ऐसा जिक्र है कि अस्थाना को एक कंपनी की ओर से गैरकानूनी फायदा मिला है. और हाल में सीबीआई ने उस आरोपी कंपनी और कुछ सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ धनशोधन संबंधी प्राथमिकी दर्ज की है. इस पर अटॉर्नी जनरल ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि सीबीआई की प्राथमिकी में अस्थाना का नाम नहीं है और उनका करियर शानदार रहा है.
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