यह ख़बर 24 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

सुप्रीम कोर्ट ने चार कोल ब्लॉकों को छोड़कर सभी 214 आवंटन रद्द किए

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न कंपनियों को 1993 से आवंटित किए गए 218 कोयला ब्लॉकों में से 214 के आवंटन रद्द कर दिए। प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने सिर्फ चार कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द नहीं किया।

रद्द होने से बचे कोयला ब्लाकों में एनटीपीसी और सेल के एक-एक ब्लाक और दो ब्लॉक अति वृहद विद्युत परियोजनाओं के लिए दिए गए हैं। कोर्ट ने इस फैसले से कंपनियों को सरकार के राजस्व के नुकसान की भरपाई करने का निर्देश दिया, जिन्होंने अभी तक कोयला निकासी का काम चालू नहीं किया था। कोर्ट ने कैग के इस निष्कर्ष को स्वीकार किया कि इन कोयला ब्लॉकों में उत्पादन चालू नहीं होने के कारण 295 रुपये प्रति टन की दर से राजस्व का नुकसान हुआ।

कोर्ट ने कहा कि सिर्फ सरकारी कोल ब्लॉक बचे रहेंगे। कोर्ट ने 218 कोल ब्लॉकों को अवैध बताया था, जिसमें से 214 उसने रद्द कर दिए हैं। इसके साथ ही चालू हो चुके 46 कोल ब्लॉकों को भी राहत नहीं दी गई है, अलबत्ता उन्हें छह माह में कामकाज समेटना होगा।

इससे पहले 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 1993 से अभी तक सारे कोल आवंटन को अवैध करार दिया था।

अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट कहा था कि ये सारे आवंटन मनमाने ढंग से किए। पिछले दो दशक में 36 स्क्रीनिंग कमेटियों ने अवैध और मनमाने तरीके से कोल ब्लॉक आवंटित किए। ना ही ये आवंटन पारदर्शी थे और ना ही सही ढंग से किए गए। हालांकि केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर करके 46 कोल ब्लॉक आवंटन को रद्द न करने की मांग की थी।

गौरतलब है कि कोल ब्लॉक का मामला भले मनमोहन सरकार के समय का उछला, लेकिन जांच पूरे दौर की हुई। झारखंड, छतीसगढ़, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और मध्य प्रदेश के 218 कोल ब्लॉक्स 1993 से 2010 के बीच आवंटित हुए।

कोर्ट ने सुझाव दिया कि मामला अर्थव्यवस्था से जुड़ा है इसलिए इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन हो। सुप्रीम कोर्ट ने आगे सुनवाई की और 9 सितम्बर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

1 सितम्बर को हुई सुनवाई के दौरान भारत सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कोर्ट सारे आवंटन रद्द कर देता है तो भी सरकार तैयार है, लेकिन हो सके तो उन 46 ब्लॉक्स को छोड़ दिया जाए जो या तो शुरू हो चुके हैं या शुरू होने वाले हैं। इसके लिए 295 रुपये प्रति टन का जुर्माना वसूला जा सकता है। कोर्ट इस मामले में फौरन आदेश जारी करे और कोई कमेटी न बनाए। देश में बिजली के हालात ठीक नहीं और ऐसे में जल्द दोबारा आवंटन जरूरी है।

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9 सितंबर को सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा कि सारे आवंटन रद्द कर दिए जाएं और जो ब्लॉक्स चल रहे हैं, उन्हें कोल इंडिया के हवाले किए जाए या 2जी स्पेक्ट्रम की तर्ज पर जब तक नए आवंटन नहीं होते 46 कोल ब्लॉकों को चलने दिया जाए। सुनवाई के दौरान माइनिंग से जुड़ी कंपनियों ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखी। कोर्ट में कंपनियों की तरफ से कहा गया कि कोई भी आदेश देने से पहले उनकी बात भी सुनी जाए। इस बारे में एक कमेटी बने जो हर कंपनी से बातचीत करे।