
नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त को आत्मसमर्पण के लिए और समय देने से इनकार कर दिया। उन्हें 1993 के मुंबई विस्फोट कांड के मामले में साढ़े तीन साल कैद की सजा काटनी है।
न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ ने एक फिल्म निर्माता की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसने दत्त को आत्मसमर्पण के लिए और वक्त देने की मांग की थी ताकि वह अपनी दो निर्माणाधीन फिल्मों की शूटिंग पूरी कर सकें।
उधर, मुंबई में संजय दत्त ने आज यहां एक विशेष टाडा अदालत से गुहार लगाई है कि उन्हें विशेष अदालत के बजाय पुणे की यरवदा जेल में आत्मसमर्पण करने की इजाजत दी जाए।
दत्त की अर्जी पर सुनवाई कर रहे न्यायाधीश जी ए सनप ने सीबीआई से जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुये इस अर्जी पर सुनवाई कल के लिए स्थगित कर दी। सरकार और सीबीआई की ओर से सरकारी अभियोजक दीपक साल्वी अदालत में पेश हुए।
शस्त्र अधिनियम के तहत दोषी ठहराए गए दत्त को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी। वह डेढ़ साल की सजा पहले ही काट चुके हैं। उन्हें बाकी सजा काटने के लिए 16 मई से पहले जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करना है।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले 10 मई को दत्त को दोषी ठहराए जाने और पांच साल की सजा के फैसले पर पुनर्विचार करने की दत्त की याचिका को खारिज कर दिया था।
53 वर्षीय दत्त को बाकी सजा काटने के लिए समर्पण करने के लिहाज से चार हफ्तों का वक्त दिया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने 1993 के मुंबई सीरीयल विस्फोट मामले में संजय दत्त को दोषी ठहराए जाने के फैसले पर 21 मार्च को अपनी मुहर लगाई थी। हालांकि शीर्ष अदालत ने 2006 में एक विशेष टाडा अदालत द्वारा दत्त को सुनाई गई छह साल की कैद की सजा को कम करके पांच साल कर दिया और प्रोबोशन पर उनकी रिहाई से इनकार करते हुए कहा कि उनके अपराध की प्रकृति गंभीर है।
टाडा अदालत ने दत्त को 9 एमएम की पिस्तौल और एक एके-56 राइफल गैरकानूनी तरीके से रखने के मामले में दोषी ठहराया था। ये हथियार भारत में सीरीयल विस्फोट करने के लिए लाए गए हथियारों और विस्फोटकों की खेप का हिस्सा थे।
वर्ष 1993 में मुंबई में हुए विस्फोटों में 257 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
(इनपुट भाषा से भी)
न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ ने एक फिल्म निर्माता की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसने दत्त को आत्मसमर्पण के लिए और वक्त देने की मांग की थी ताकि वह अपनी दो निर्माणाधीन फिल्मों की शूटिंग पूरी कर सकें।
उधर, मुंबई में संजय दत्त ने आज यहां एक विशेष टाडा अदालत से गुहार लगाई है कि उन्हें विशेष अदालत के बजाय पुणे की यरवदा जेल में आत्मसमर्पण करने की इजाजत दी जाए।
दत्त की अर्जी पर सुनवाई कर रहे न्यायाधीश जी ए सनप ने सीबीआई से जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुये इस अर्जी पर सुनवाई कल के लिए स्थगित कर दी। सरकार और सीबीआई की ओर से सरकारी अभियोजक दीपक साल्वी अदालत में पेश हुए।
शस्त्र अधिनियम के तहत दोषी ठहराए गए दत्त को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी। वह डेढ़ साल की सजा पहले ही काट चुके हैं। उन्हें बाकी सजा काटने के लिए 16 मई से पहले जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करना है।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले 10 मई को दत्त को दोषी ठहराए जाने और पांच साल की सजा के फैसले पर पुनर्विचार करने की दत्त की याचिका को खारिज कर दिया था।
53 वर्षीय दत्त को बाकी सजा काटने के लिए समर्पण करने के लिहाज से चार हफ्तों का वक्त दिया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने 1993 के मुंबई सीरीयल विस्फोट मामले में संजय दत्त को दोषी ठहराए जाने के फैसले पर 21 मार्च को अपनी मुहर लगाई थी। हालांकि शीर्ष अदालत ने 2006 में एक विशेष टाडा अदालत द्वारा दत्त को सुनाई गई छह साल की कैद की सजा को कम करके पांच साल कर दिया और प्रोबोशन पर उनकी रिहाई से इनकार करते हुए कहा कि उनके अपराध की प्रकृति गंभीर है।
टाडा अदालत ने दत्त को 9 एमएम की पिस्तौल और एक एके-56 राइफल गैरकानूनी तरीके से रखने के मामले में दोषी ठहराया था। ये हथियार भारत में सीरीयल विस्फोट करने के लिए लाए गए हथियारों और विस्फोटकों की खेप का हिस्सा थे।
वर्ष 1993 में मुंबई में हुए विस्फोटों में 257 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
(इनपुट भाषा से भी)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं