सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव (फाइल फोटो)
लखनऊ:
समाजवादी पार्टी अब इंटरव्यू के जरिये सच्चे समाजवादियों की तलाश कर रही है। इनमें जो सबसे लायक पाए जाएंगे, उन्हें 2017 के विधानसभा चुनाव का टिकट दिया जाएगा। पार्टी नेतृत्व के लिये कार्यकर्ताओं की अनुशासनहीनता एक बड़ी चुनौती है, लेकिन चुनाव में जीत के लिए कई और खूबियों की जरूरत होती है। इसलिए ऐसे उम्मीदवारों की तलाश करना टेढ़ी खीर है जो दोनों कसौटियों पर खरा उतरें।
आलम यह है कि सपा कार्यालय के बाहर टिकट पाने की चाह में लोगों की लाइन लगी है और सभी अपने को सच्चा समाजवादी बताने की कोशिश में लगे हैं। सभी को यही प्रश्न सता रहा है कि इंटरव्यू में कौन सा सवाल उन्हें फंसा देगा। कई तो जनरल नॉलेज की किताबें लिये पढ़ाई करने में लगे हैं।
कुछ लोग तो इंटरव्यू देकर बाहर निकल रहे लोगों का ही इंटरव्यू करने में लग गए हैं। उनसे वह सारे सवाल पूछ लेना चाहते हैं जो भीतर तीर के समान चल रहे हैं।
देवरिया के व्यास यादव अखबार लेकर आए हैं जिसमें उनकी पुलिस से पिटने की तस्वीर छपी है। पार्टी के सम्मेलन में पकवान पकवाने की जिम्मेदारी का सेहरा भी उन्हीं के सिर है।
अपने बारे में बताते हुए हैं कि पेपर की कटिंग आपके सामने है। तीस कुंतल दूध की मैंने खीर बनवाया, 22 कुंतल आटे की पूड़ी बनवाई थी और पांच कुंतल चना भी भिगोया गया था जिसे प्रसाद के रूप में बांटा गया था।
पार्टी की ओर से की जा रही इस कवायद को लोग पार्टी की धूमिल होती छवि को सुधारने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं।
एक महिला प्रत्याशी सुमन सिंह का तो कहना है कि उनके इलाके में आधी आबादी की संख्या तो महिलाओं की है, सो उनका दावा मजबूत है। वह कहती हैं कि हमारे रुदौली विधानसभा में एक लाख 90 हजार पुरुष मतदाता हैं और एक लाख 65 हजार महिला मतदाता हैं।
यूपी में लोगों मानना है कि पार्टी नेताओं की अनुशासनहीनता भले ही पार्टी को चुनाव में दिक्कत पहुंचाए, लेकिन उम्मीदवार चुनते वक्त जाति-धर्म का कार्ड भी महत्वपूर्ण होता है।
इस पूरे मामले में इंटरव्यू लेने वाले अरविंद सिंह गोपे ने कहा कि बिरादरी का जातीय समीकरण क्या, पार्टी में क्या योददान है, पार्टी के लिए क्या संघर्ष किया है, किसने सेकंड पोल किया था, किन कारणों से हारे थ, कहां कमी रह गई थी आदि विषयों पर खुल के बातचीत की गई।
कहा जा रहा है कि इस प्रकार के प्रयास के जरिए पार्टी ने केवल भावी उम्मीदवारों की परख ही नहीं की, बल्कि पूरे सूबे की टोह भी लेने की कोशिश की।
आलम यह है कि सपा कार्यालय के बाहर टिकट पाने की चाह में लोगों की लाइन लगी है और सभी अपने को सच्चा समाजवादी बताने की कोशिश में लगे हैं। सभी को यही प्रश्न सता रहा है कि इंटरव्यू में कौन सा सवाल उन्हें फंसा देगा। कई तो जनरल नॉलेज की किताबें लिये पढ़ाई करने में लगे हैं।
कुछ लोग तो इंटरव्यू देकर बाहर निकल रहे लोगों का ही इंटरव्यू करने में लग गए हैं। उनसे वह सारे सवाल पूछ लेना चाहते हैं जो भीतर तीर के समान चल रहे हैं।
देवरिया के व्यास यादव अखबार लेकर आए हैं जिसमें उनकी पुलिस से पिटने की तस्वीर छपी है। पार्टी के सम्मेलन में पकवान पकवाने की जिम्मेदारी का सेहरा भी उन्हीं के सिर है।
अपने बारे में बताते हुए हैं कि पेपर की कटिंग आपके सामने है। तीस कुंतल दूध की मैंने खीर बनवाया, 22 कुंतल आटे की पूड़ी बनवाई थी और पांच कुंतल चना भी भिगोया गया था जिसे प्रसाद के रूप में बांटा गया था।
पार्टी की ओर से की जा रही इस कवायद को लोग पार्टी की धूमिल होती छवि को सुधारने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं।
एक महिला प्रत्याशी सुमन सिंह का तो कहना है कि उनके इलाके में आधी आबादी की संख्या तो महिलाओं की है, सो उनका दावा मजबूत है। वह कहती हैं कि हमारे रुदौली विधानसभा में एक लाख 90 हजार पुरुष मतदाता हैं और एक लाख 65 हजार महिला मतदाता हैं।
यूपी में लोगों मानना है कि पार्टी नेताओं की अनुशासनहीनता भले ही पार्टी को चुनाव में दिक्कत पहुंचाए, लेकिन उम्मीदवार चुनते वक्त जाति-धर्म का कार्ड भी महत्वपूर्ण होता है।
इस पूरे मामले में इंटरव्यू लेने वाले अरविंद सिंह गोपे ने कहा कि बिरादरी का जातीय समीकरण क्या, पार्टी में क्या योददान है, पार्टी के लिए क्या संघर्ष किया है, किसने सेकंड पोल किया था, किन कारणों से हारे थ, कहां कमी रह गई थी आदि विषयों पर खुल के बातचीत की गई।
कहा जा रहा है कि इस प्रकार के प्रयास के जरिए पार्टी ने केवल भावी उम्मीदवारों की परख ही नहीं की, बल्कि पूरे सूबे की टोह भी लेने की कोशिश की।
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