नई दिल्ली:
राजधानी के सफदरजंग अस्पताल के रेडियोथेरैपी विभाग को बंद कर दिया गया है क्योंकि परमाणु उर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) ने विकिरण सुरक्षा लाइसेंस का नवीकरण नहीं होने पर उसे बंद करने का आदेश दिया है। इससे कैंसर मरीजों का इलाज अचानक रोक दिया गया है।
सफदरजंग अस्पताल में सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा नियम लागू करने की जिम्मेदारी संभालने वाले एईआरबी ने एक नोटिस भेजकर आदेश दिया कि वह विकिरण थेरैपी के लिए नए मरीजों को भर्ती करना बंद करे ।
अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा, ‘एईआरबी का निर्देश रेडियोलॉजी सुरक्षा अधिकारी (आरएसओ) की गलती की वजह से आया जिसने ऑनलाइन की जगह पेपर आधारित आवेदन के जरिए नवीनीकरण के लिए आवेदन किया । एईआरबी ने अब पूरी तरह ऑनलाइन प्रक्रिया अपना ली है।’
उन्होंने कहा, ‘आरएसओ को अब दोबारा आवेदन करना होगा और इसके मंजूर हो जाने पर अस्पताल रेडिएशन थेरैपी के लिए मरीजों की भर्ती शुरू कर सकता है।’ अस्पताल को 18 नवंबर को नोटिस मिला।
दिल्ली में कैंसर का इलाज करने वाले फिलहाल चार अस्पताल- सफदरजंग अस्पताल, एम्स, दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट और लोकनायक अस्पताल हैं। एईआरबी के नोटिस में कहा गया है, ‘आपके संस्थान में विकिरण थेरैपी के लिए कोई भी मरीज तत्काल प्रभाव रेडियोथेरैपी विभाग में भर्ती नहीं किया जाएगा।’ हालांकि अस्पताल को पहले से ही भर्ती मरीजों के रेडियो थेरैपी उपचार की अनुमति दी गई है ।
डॉक्टर ने बताया कि कल करीब 30 मरीज लौटा दिए गए और हफ्ते में 120 से अधिक मरीज विकिरण थेरैपी के लिए आते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि विकिरण थेरैपी कैंसर के मरीजों के लिए संस्तुति की जाती है क्योंकि उसमें कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए उच्च उर्जा वाली विकिरणों का इस्तेमाल होता है।
एईआरबी के दिशानिर्देश कहते हैं कि बिना रेडियोलॉजिक सुरक्षा अधिकारी के कैंसर मरीजों को विकिरण थेरैपी नहीं दी जा सकती है। इस अधिकारी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विकिरण सुरक्षा गतिविधियां लाइसेंस कार्यक्रम के रोजाना अभियान में मान्य प्रक्रिया और विनियामक जरूरतों के अनुसार की जाएं।
सफदरजंग अस्पताल में सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा नियम लागू करने की जिम्मेदारी संभालने वाले एईआरबी ने एक नोटिस भेजकर आदेश दिया कि वह विकिरण थेरैपी के लिए नए मरीजों को भर्ती करना बंद करे ।
अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा, ‘एईआरबी का निर्देश रेडियोलॉजी सुरक्षा अधिकारी (आरएसओ) की गलती की वजह से आया जिसने ऑनलाइन की जगह पेपर आधारित आवेदन के जरिए नवीनीकरण के लिए आवेदन किया । एईआरबी ने अब पूरी तरह ऑनलाइन प्रक्रिया अपना ली है।’
उन्होंने कहा, ‘आरएसओ को अब दोबारा आवेदन करना होगा और इसके मंजूर हो जाने पर अस्पताल रेडिएशन थेरैपी के लिए मरीजों की भर्ती शुरू कर सकता है।’ अस्पताल को 18 नवंबर को नोटिस मिला।
दिल्ली में कैंसर का इलाज करने वाले फिलहाल चार अस्पताल- सफदरजंग अस्पताल, एम्स, दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट और लोकनायक अस्पताल हैं। एईआरबी के नोटिस में कहा गया है, ‘आपके संस्थान में विकिरण थेरैपी के लिए कोई भी मरीज तत्काल प्रभाव रेडियोथेरैपी विभाग में भर्ती नहीं किया जाएगा।’ हालांकि अस्पताल को पहले से ही भर्ती मरीजों के रेडियो थेरैपी उपचार की अनुमति दी गई है ।
डॉक्टर ने बताया कि कल करीब 30 मरीज लौटा दिए गए और हफ्ते में 120 से अधिक मरीज विकिरण थेरैपी के लिए आते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि विकिरण थेरैपी कैंसर के मरीजों के लिए संस्तुति की जाती है क्योंकि उसमें कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए उच्च उर्जा वाली विकिरणों का इस्तेमाल होता है।
एईआरबी के दिशानिर्देश कहते हैं कि बिना रेडियोलॉजिक सुरक्षा अधिकारी के कैंसर मरीजों को विकिरण थेरैपी नहीं दी जा सकती है। इस अधिकारी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विकिरण सुरक्षा गतिविधियां लाइसेंस कार्यक्रम के रोजाना अभियान में मान्य प्रक्रिया और विनियामक जरूरतों के अनुसार की जाएं।
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