
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का फाइल फोटो
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मालेगांव बम धमाके (2008) की साजिश का आरोप
एनआईए ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में क्लीन चिट दी
पीड़ित परिवार ने विरोध में दखल याचिका दायर की
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पिछले आठ साल से मालेगांव बम धमाके (2008) के आरोप में जेल में है। मामले की जांच कर रही एनआईए ने इसी साल दायर अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में साध्वी सहित 6 आरोपियों को क्लीन चिट दी है। उसी के बाद साध्वी के वकील ने जमानत की अर्जी दी। मामले में पीड़ित परिवार की तरफ से जमानत अर्जी के विरोध में दखल याचिका भी दायर है।
मालेगांव बम धमाके (2008) में कुल 6 लोगों की मौत हुई थी और 100 के करीब घायल हुए थे। तत्कालीन जांच एजेंसी एटीएस ने जांच में पाया कि बम लगाने के लिए जिस मोटर साइकिल का इस्तेमाल किया गया था वो साध्वी के नाम पर थी। हालांकि साध्वी का कहना है कि धमाके के दो साल पहले से ही वह मोटर साइकिल रामचंद्र कलसांगरा इस्तेमाल कर रहा था। रामचंद्र कलसांगरा फरार आरोपी है।
साध्वी की गिरफ्तारी के बाद मामले में एक-एक कर 13 लोगों की गिरफ्तारी हुई। जिसमें सेना के कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित सहित पूर्व मेजर रमेश उपाध्याय और दयानंद पांडे जैसे साधु संत भी हैं। एटीएस ने मामले में एक आरोपी राकेश धावड़े पर परभणी और जालना बम धमाकों में चार्जशीट दिखाकर मकोका लगाया था।
लेकिन एनआईए का कहना है कि राकेश धावड़े को पहले 2008 के मालेगांव बम धमाके में गिरफ्तार किया गया फिर मकोका लगाने के इरादे से उसे परभणी और जालना बम धमाकों में आरोपी बनाकर चार्जशीट दायर की गई। एनआईए का तर्क है कि मामले पर मकोका नहीं बनता और मकोका हटता है तो साध्वी के खिलाफ मुकदमा चलाने लायक पर्याप्त सबूत नहीं है।
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