साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
कुम्भ की डुबकी भी साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर के काम नहीं आई। एनआईए की विशेष अदालत ने जांच एजेंसी द्वारा क्लीन चिट दिए जाने के बाद भी साध्वी को जमानत देने से मना कर दिया।
सवाल है क्यों?
साध्वी की ज़मानत ख़ारिज करते हुए कोर्ट ने प्राथमिक यानी एटीएस की जांच पर ज्यादा भरोसा दिखाया है। कोर्ट ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा सिंह इस बात से इनकार नहीं कर सकती कि धमाकों के लिए इस्तेमाल बाइक से उनका संबन्ध है। कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयान के मुताबिक भोपाल में हुई मीटिंग में साध्वी मौजूद थीं। उस मीटिंग में औरंगाबाद और मालेगांव में बढ़ रही जिहादी गतिविधियों और उन्हें रोकने पर चर्चा हुई। यंहा तक कि मीटिंग में मौजूद सभी लोगों ने देश में तत्कालीन सरकार को गिराकर अपनी स्वतन्त्र सरकार बनाने की बात भी की थीं।
मालेगांव 2008 बम धमाके के एक पीड़ित परिवार के वकील वहाब खान का कहना है कि अदालत ने जमानत के खिलाफ अपना फैसला सुनाकर एनआईए के उस दावे को ख़ारिज कर दिया है कि साध्वी के खिलाफ मामले में पुख़्ता सबूत नहीं है। वहाब का ये भी दावा है कि अदालत ने एनआईए की इस बात को भी नहीं माना है कि मामले पर मकोका नहीं बनता। एनआईए ने मामले में अदालतों के आज तक के फैसले से आगे बढ़कर जांच को नई दिशा देने की कोशिश की है। गवाहों के बयानों से साफ है कि आरोपियों के खिलाफ पुख़्ता सबूत हैं। अदालत ने एटीएस की जांच पर भरोसा जताया है।
साध्वी के वकील फैसले से आहत, ऊपरी अदालत में जाने की तैयारी
वहीं अदालत में साध्वी की पैरवी करने वाले वकील जे.पी. मिश्रा अदालत के फैसले से आहत दिखे। उनका कहना है जब जांच एजेंसी क्लीन चिट दे चुकी है और ये साफ कर चुकी है कि मामले में मकोका गलत तरीके से लगाया गया है, फिर भी जमानत न देने का फैसला हैरान करने वाला है। उन्होंने फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने की बात कही।
29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी और 101 लोग घायल हुए थे। धमाके के लिए इस्तेमाल मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा सिंह की थी। हालांकि उनका कहना है कि वो मोटरसाइकिल 2 साल रामचंद्र कलसांगरा के पास थी। रामचन्द्र कलसांगरा पर बम प्लांट करने का आरोप है और वह अभी तक फरार है।
मालेगांव 2008 बम धमाके की जांच कर रही एनआईए ने मई महीने में दायर अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित 6 आरोपियों को क्लीन चिट दी थी और मामले में मकोका लगाए जाने के तरीके पर भी सवाल उठाया था। लेकिन अदालत ने साध्वी की जमानत अर्जी ख़ारिज कर एनआईए की जांच पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
सवाल है क्यों?
साध्वी की ज़मानत ख़ारिज करते हुए कोर्ट ने प्राथमिक यानी एटीएस की जांच पर ज्यादा भरोसा दिखाया है। कोर्ट ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा सिंह इस बात से इनकार नहीं कर सकती कि धमाकों के लिए इस्तेमाल बाइक से उनका संबन्ध है। कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयान के मुताबिक भोपाल में हुई मीटिंग में साध्वी मौजूद थीं। उस मीटिंग में औरंगाबाद और मालेगांव में बढ़ रही जिहादी गतिविधियों और उन्हें रोकने पर चर्चा हुई। यंहा तक कि मीटिंग में मौजूद सभी लोगों ने देश में तत्कालीन सरकार को गिराकर अपनी स्वतन्त्र सरकार बनाने की बात भी की थीं।
मालेगांव 2008 बम धमाके के एक पीड़ित परिवार के वकील वहाब खान का कहना है कि अदालत ने जमानत के खिलाफ अपना फैसला सुनाकर एनआईए के उस दावे को ख़ारिज कर दिया है कि साध्वी के खिलाफ मामले में पुख़्ता सबूत नहीं है। वहाब का ये भी दावा है कि अदालत ने एनआईए की इस बात को भी नहीं माना है कि मामले पर मकोका नहीं बनता। एनआईए ने मामले में अदालतों के आज तक के फैसले से आगे बढ़कर जांच को नई दिशा देने की कोशिश की है। गवाहों के बयानों से साफ है कि आरोपियों के खिलाफ पुख़्ता सबूत हैं। अदालत ने एटीएस की जांच पर भरोसा जताया है।
साध्वी के वकील फैसले से आहत, ऊपरी अदालत में जाने की तैयारी
वहीं अदालत में साध्वी की पैरवी करने वाले वकील जे.पी. मिश्रा अदालत के फैसले से आहत दिखे। उनका कहना है जब जांच एजेंसी क्लीन चिट दे चुकी है और ये साफ कर चुकी है कि मामले में मकोका गलत तरीके से लगाया गया है, फिर भी जमानत न देने का फैसला हैरान करने वाला है। उन्होंने फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने की बात कही।
29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी और 101 लोग घायल हुए थे। धमाके के लिए इस्तेमाल मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा सिंह की थी। हालांकि उनका कहना है कि वो मोटरसाइकिल 2 साल रामचंद्र कलसांगरा के पास थी। रामचन्द्र कलसांगरा पर बम प्लांट करने का आरोप है और वह अभी तक फरार है।
मालेगांव 2008 बम धमाके की जांच कर रही एनआईए ने मई महीने में दायर अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित 6 आरोपियों को क्लीन चिट दी थी और मामले में मकोका लगाए जाने के तरीके पर भी सवाल उठाया था। लेकिन अदालत ने साध्वी की जमानत अर्जी ख़ारिज कर एनआईए की जांच पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
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