
दिल्ली के विज्ञान भवन में यह कार्यक्रम आज से शुरू हो गया है. (फाइल फोटो)
- आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी
- विज्ञान भवन में हो रही है व्याख्यान श्रृंखला
- कांग्रेस ने कहा, नहीं मिला कोई आमंत्रण
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नई दिल्ली:
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) की तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला यहां सोमवार से शुरू हो रही है. जिसके केंद्र में हिंदुत्व होगा. लेकिन, इस कार्यक्रम में विपक्ष के शीर्ष नेताओं के शामिल होने की संभावना कम है. इस कार्यक्रम की विशिष्टता तीनों दिन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न समसामयिक विषयों पर संघ का विचार प्रस्तुत किया जाना है. कार्यक्रम का शीर्षक 'भविष्य का भारत : आरएसएस का दृष्टिकोण' रखा गया है. इसमें कई गणमान्य लोगों के भाग लिए जाने की उम्मीद है, जिनमें धार्मिक नेता, फिल्म कलाकार, खेल हस्तियां, उद्योगपति व विभिन्न देशों के राजनयिक शामिल हैं. लेकिन, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी व समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव इस समारोह की शोभा नहीं बढ़ाएंगे. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपना फैसला बता दिया है, जबकि माकपा ने कहा कि येचुरी यात्रा पर हैं और आरएसएस की तरफ से कोई आमंत्रण भी नहीं आया है.
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कांग्रेस ने इसे लेकर आरएसएस पर कटाक्ष किया. कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, "आरएसएस व भाजपा आमंत्रण भेजने को लेकर फर्जी खबर फैला रहे हैं, जैसे मानो यह किसी सम्मान का कोई मेडल हो." सुरजेवाला ने कहा, "इस तरह का कोई आमंत्रण कांग्रेस पार्टी को नहीं मिला है और यह कोई सम्मान का पदक नहीं हैं. उनके अंतर्निहित घृणा के एजेंडे से सभी लोग वाकिफ हैं." आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विचारधारा का वह स्रोत है. आरएसएस के एक प्रवक्ता ने आईएएनएस से कहा, "आरएसएस की आलोचना सभी के द्वारा की जा रही है, खास तौर से विपक्ष द्वारा." उन्होंने कहा, "यह कार्यक्रम हमारे विचार को प्रस्तुत करने के लिए है, यह बताने के लिए है कि हम उन मुद्दों को कैसे देखते है, जिसे विपक्ष हमें और सरकार को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है."
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आरएसएस के प्रमुख प्रवक्ता अरुण कुमार ने कहा, "आज भारत अपना दुनिया में विशेष स्थान फिर से हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. आरएसएस मानता है कि समाज के बड़े तबके की उत्कंठा बढ़ रही है, जिसमें बुद्धिजीवी और युवा भी शामिल हैं जो आरएसएस के विभिन्न मुद्दों पर नजरिया जानना चाहते हैं." इस व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन विज्ञान भवन में किया जा रहा है.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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कांग्रेस ने इसे लेकर आरएसएस पर कटाक्ष किया. कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, "आरएसएस व भाजपा आमंत्रण भेजने को लेकर फर्जी खबर फैला रहे हैं, जैसे मानो यह किसी सम्मान का कोई मेडल हो." सुरजेवाला ने कहा, "इस तरह का कोई आमंत्रण कांग्रेस पार्टी को नहीं मिला है और यह कोई सम्मान का पदक नहीं हैं. उनके अंतर्निहित घृणा के एजेंडे से सभी लोग वाकिफ हैं." आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विचारधारा का वह स्रोत है. आरएसएस के एक प्रवक्ता ने आईएएनएस से कहा, "आरएसएस की आलोचना सभी के द्वारा की जा रही है, खास तौर से विपक्ष द्वारा." उन्होंने कहा, "यह कार्यक्रम हमारे विचार को प्रस्तुत करने के लिए है, यह बताने के लिए है कि हम उन मुद्दों को कैसे देखते है, जिसे विपक्ष हमें और सरकार को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है."
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