राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संघ परिवार के अन्य संगठनों के साथ सरकार का तालमेल बेहतर बनाने के मकसद से मंगलवार को दिल्ली में कई मंत्रियों के साथ लंबी बैठक हुई।
मध्य प्रदेश भवन में हुई बैठक में आरएसएस की ओर से कृष्ण गोपाल और सुरेश सोनी शामिल हुए। कृषिमंत्री राधामोहन सिंह, श्रममंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ऊर्जामंत्री पीयूष गोयल, पर्यावरणमंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संघ परिवार के दूसरे संगठनों के नुमाइंदों से मुलाकात की। बीजेपी की तरफ से महासचिव राम लाल, राम माधव और मुरली धर राव शामिल हुए।
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक इस बैठक का मकसद कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार के साथ मतभेद सुलझाना और तालमेल बेहतर करना था ताकि विवादास्पद मुद्दों पर संघ परिवार बंटा नजर न आए।
पिछली वाजपेयी सरकार में शायद ही कोई ऐसा दिन होता था जब संघ परिवार के संगठनों खासकर स्वदेशी जागरण मंच या राष्ट्रीय किसान संघ सरकार के किसी फैसले का विरोध सड़कों पर करते नजर नहीं आते थे।
पिछले अनुभवों से सबक लेते हुए ये तय किया गया कि विवादास्पद मुद्दों पर परिवार में एक राय चाहे न भी हो मगर विवाद सार्वजनिक रूप करने से बेहतर होगा आपस में बैठ कर इसे सुलझा लिया जाए।
इस बैठक में स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, संस्कार भारती, वनवासी कल्याण आश्रम और लघु उद्योग भारती जैसे संगठनों के प्रतिनिधियों ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार के सामने अपने राय रखी।
भारतीय किसान संघ ने कृषि मंत्री से कहा कि वो गन्ना किसानों की समस्या के लिए खास ध्यान दें। वहीं स्वदेशी जागरण मंच पर्यावरण मंत्री से आश्वासन चाहता था कि जीएम फसलों के फील्ड ट्रायल की अनुमति न दी जाए।
इस पर जावड़ेकर ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है और सरकार अदालत के फैसले को मानेगी। विदेशी निवेश को लेकर भी इन संगठनों के कई एतराज़ हैं जिन पर वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण से बात की जाएगी।
संघ परिवार ने सरकार से आलू आयात न करने को भी कहा क्योंकि उनके मुताबिक जल्दी ही आलू की नई फसल आने वाली है और इससे किसानों को नुकसान हो सकता है। दिहाड़ी मजदूरों को स्थाई करने, कोयला खनन के इलाकों में आदिवासियों के हितों की रक्षा करने और लघु और छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों पर भी बात हुई।
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