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ट्रंप की टैरिफ स्ट्राइक से भारत-अमेरिका ट्रेड डील खटाई में? कब-कैसे पकड़ी रफ्तार; अब आगे क्या?

भारत और अमेरिका द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को नए स्तर तक पहुंचाना चाहते हैं. ट्रेड डील को मुकाम तक पहुंचाने के लिए 5 दौर की वार्ता हो चुकी है. छठे दौर की वार्ता अगले महीने होनी है.

ट्रंप की टैरिफ स्ट्राइक से भारत-अमेरिका ट्रेड डील खटाई में? कब-कैसे पकड़ी रफ्तार; अब आगे क्या?
  • भारत-अमेरिका आर्थिक समझौते की शर्तें तय करने के लिए अब तक 5 दौर की बातचीत हो चुकी है.
  • पीएम मोदी के अमेरिका दौरे ने इस डील की दशा-दिशा तय की थी. उसके बाद बातचीत में तेजी आई.
  • 25 अगस्त को अगली वार्ता से पहले ट्रंप के 25% टैरिफ लगाने के बाद भारत का रुख देखने वाला होगा.
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भारत और अमेरिका के अधिकारी पिछले कुछ समय से ट्रेड डील को अंजाम तक पहुंचाने में जुटे हैं. महीनों की मशक्कत के बाद कई दौर की बातचीत हो चुकी है. लेकिन कई मसले ऐसे हैं, जिन पर मामला अटका हुआ है. ट्रेड डील को लेकर आर्थिक से लेकर राजनयिक स्तर पर पहल की जा रही है, लेकिन अब तक कुछ भी ठोस हासिल होता नहीं दिख रहा है. आइए बताते हैं कि भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर वार्ता ने कब-कैसे जोर पकड़ा और अब इसका क्या स्टेटस है. 

भारत अमेरिका का सैन्य, राजनयिक ही नहीं, सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर भी है. दोनों देश अपने आर्थिक संबंधों को नए स्तर तक पहुंचाना चाहते हैं. लेकिन दोनों ही देश इस काम का ऐसे करना चाहते हैं कि उनके अपने देश के फायदे को ज्यादा तवज्जो मिले. भारत कई साल पहले से मेक इन इंडिया और परफॉर्मेंस लिंक्ड स्कीम (पीएलआई) जैसी योजनाओं से अपने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने में लगा है. 

वहीं अमेरिका में ट्रंप सरकार आने के बाद उन्होंने भी अपने आर्थिक हितों को सबसे ऊपर रखना शुरू कर दिया है. वह दुनिया के तमाम देशों से ऐसी डील करना चाहते हैं, जिसमें अमेरिका का फायदा सबसे ज्यादा हो. इसी को लेकर उन्होंने अमेरिका में विदेशों से आने वाली वस्तुओं पर टैरिफ लगाना शुरू किया है. ट्रंप ने भारत पर पहले 26 पर्सेंट टैरिफ की चेतावनी दी थी, लेकिन उसे टाल दिया था. अब 
उन्होंने 25 पर्सेंट टैरिफ का ऐलान किया है. रूस से तेल और सैन्य साजोसामान खरीदने पर पेनल्टी लगाने की भी घोषणा की है. इसका आगामी ट्रेड डील पर क्या असर होगा, ये देखने की बात होगी. 

पीएम मोदी की राजकीय यात्रा

भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर पिछले कुछ समय से चर्चा चल रही थी, लेकिन 13 फरवरी को पीएम मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान इसे बड़ा पुश मिला. राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी की बातचीत के बाद जारी साझा बयान में 'नया और समानता पर आधारित' ट्रेड डील करने की दिशा में आगे बढ़ने की बात कही गई थी. इसी बैठक ने ट्रेड डील की दिशा तय की और बातचीत में तेजी आई. 

पीयूष गोयल का अमेरिका दौरा

पीएम मोदी के दौरे के बाद भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने 4 से 6 मार्च तक अमेरिका की यात्रा की. इसका मकसद ट्रेड डील को लेकर पॉलिसी स्तर की बातचीत का आधार तैयार करना था. उसके बाद अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत आया. 26 से 29 मार्च तक ट्रेड डील के तकनीकी पहलुओं पर बातचीत हुई. इस दौरान डिजिटल ट्रेड से लेकर फार्मास्यूटिकल्स और एग्रीकल्चर उत्पादों को पहुंच तक खासा जोर रहा. 

मार्च से लेकर जुलाई तक दोनों देशों के अधिकारियों के बीच पांच दौर की आमने-सामने की वार्ता हो चुकी है.  बताया जाता है कि इस दौरान अधिकतर मुद्दों पर सहमति बन गई, लेकिन कुछ मुद्दों पर बात अब तक अटकी है. इन्हें लेकर वर्चुअल बैठकों के दौर भी चले हैं. इस बीच पीयूष गोयल दो बार और अमेरिका जा चुके हैं और अमेरिका ट्रेड प्रतिनिधि हॉवर्ड ल्युटनिक से जल्द समझौते के लिए मुलाकात कर चुके हैं. 

डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ अटैक

अमेरिका एक तरफ भारत से ट्रेड डील को लेकर बातचीत करता रहा, दूसरी तरफ ट्रंप भारत पर टैरिफ को लेकर दवाब बनाते रहे. 2 अप्रैल को उन्होंने भारत पर जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया. इस ऐलान से पहले कोई द्विपक्षीय बातचीत भी नहीं की. उन्होंने भारत पर पहले 26 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया था. लेकिन 9 अप्रैल को इस पर अमल के लिए 90 दिनों की मोहलत दे दी. इसकी समयसीमा 9 जुलाई को खत्म हुई तो डेडलाइन 1 अगस्त तक बढ़ा दी गई. 

अब जबकि एक्सटेंडेड डेडलाइन करीब आ चुकी है, ट्रंप प्रशासन एक तरफ भारत से ट्रेड डील को लेकर बातचीत कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रपति ने भारतीय वस्तुओं के आयात पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है. ट्रंप इतने पर ही नहीं रुके हैं, वह लगातार ब्रिक्स देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं. खासकर उन देशों पर जो रूस से तेल खरीद रहे हैं. भारत भी इन देशों में आता है. 

ट्रेड डील का क्या स्टेटस है

भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर पांच दौर की वार्ता हो चुकी हैं. अब छठे दौर की वार्ता नई दिल्ली में होनी है. इसके लिए 25 अगस्त की तारीख तय की गई है. दोनों पक्ष अब तक उम्मीद कर रहे थे कि द्विपक्षीय ट्रेड एग्रीमेंट की पहली किश्त की शर्तों को वे सितंबर-अक्तूबर तक फाइनल कर लेंगे. 

अब आगे क्या होगा?

लेकिन ट्रेड डील पर वार्ता के बीच ही ट्रंप ने 25 फीसदी टैरिफ का ऐलान कर दिया है. यह न सिर्फ भारत के लिए एक आर्थिक झटके की तरह है बल्कि इसकी वजह से भूराजनीतिक तनाव बढ़ने की भी आशंका पैदा हो गई है. ट्रंप के ऐलान पर इंडस्ट्री चैंबर फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि वैसे तो यह कदम दुर्भाग्यपूर्ण है और इसका हमारे निर्यात पर स्पष्ट प्रभाव पड़ेगा, लेकिन हमें उम्मीद है कि यह अल्पकालिक मामला होगा और दोनों पक्षों के बीच स्थायी व्यापार समझौता जल्द ही अंतिम रूप ले लेगा.

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के अध्यक्ष हेमंत जैन ने कहा कि भारतीय एमएसएमई पर कुछ समय के लिए प्रभाव तो पड़ सकता है, लेकिन यह एक अवसर भी है. वैश्विक खरीदार चुनिंदा क्षेत्रों पर अपनी अत्यधिक निर्भरता से बना जोखिम कम करने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे में भारत सबसे विश्वसनीय विकल्प के रूप में उभर रहा है.

बहरहाल, अब देखना होगा कि ट्रेड डील को लेकर अगले महीने होने वाली बातचीत में भारत क्या रुख अपनाता है. क्या वह पिछली व्यापारिक अड़चनों को दूर करके स्थिर आर्थिक सहयोग की तरफ हाथ बढ़ाएगा या कुछ और कदम उठाएगा, ये देखने की बात होगी.

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