यह ख़बर 12 मई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

रोहतक में पुलिस, आर्यसमाजियों के बीच हिंसक झड़प में तीन की मौत

खास बातें

  • आर्य समाज के प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच रविवार को हरियाणा के इस शहर के नजदीक हुई झड़प में एक महिला सहित तीन लोगों की मौत हो गई और अन्य 114 लोग घायल हो गए।
रोहतक:

आर्य समाज के प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच रविवार को हरियाणा के इस शहर के नजदीक हुई झड़प में एक महिला सहित तीन लोगों की मौत हो गई और अन्य 114 लोग घायल हो गए।

पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारी एक विवादास्पद धर्मगुरु के आश्रम को दोबारा खोलने का विरोध कर रहे थे। गुस्साए प्र्दशनकारियों ने कई बसों को आग के हवाले कर दिया।

114 घायलों को यहां के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिलकल साइंसेस (पीजीआईएमएस) में भर्ती कराया गया है। जख्मियों में महिलाएं सहित करीब 50 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। कम से कम छह लोग गोली लगने से जख्मी हुए हैं।

पुलिस अधिकारियों ने कहा कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी बरसाने और आंसू गैस छोड़ने के बावजूद उन पर काबू पाने में असफल रहने पर गोलीबारी का सहारा लिया। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों में से कुछ लोगों ने पुलिस पर गोलियां भी चलाईं।

गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने हिंसक प्रदर्शन के दौरान हरियाणा परिवहन निगम की तीन बसों और एक ऐम्बुलेंस को आग के हवाले कर दिया। दोपहिया वाहन सहित कम से कम दस गाड़ियों को भी क्षति पहुंचाई गई। उन्होंने एक शराब की दुकान में भी आग लगा दी।

प्रदर्शनकारियों में अधिकांश आर्य समाज के कार्यकर्ता थे। वे करौंथा गांव में धर्मगुरु रामपाल के सतलोक आश्रम खोलने का विरोध कर रहे थे। प्र्दशनकारियों को करौंथा के निवासियों ने भी समर्थन दिया। वे भी आश्रम खोलने का विरोध कर रहे हैं।

रामपाल के सैकड़ों समर्थक किसी भी हमले का जवाब देने के लिए आश्रम के परिसर में जमा हो गए थे। पुलिस ने हालांकि प्रदर्शनकारियों को आश्रम के पास फटकने नहीं दिया।

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आश्रम की ओर बढ़ने के दौरान रोहतक-झज्जर राष्ट्रीय मार्ग पर ही रोक दिया।

आर्य समाज के सदस्यों द्वारा आश्रम के विरोध किए जाने से यहां पिछले सप्ताह से तनाव की भूमिका तैयार हो रही थी।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "यहां अभी भी तनाव का माहौल है। स्थिति पर नियंत्रण के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस पहुंच चुकी है।"

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गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद जिले के अधिकारियों ने आश्रम को दोबारा खोलने की अनुमति दी थी। इसके बाद ही विवाद शुरू हुआ।