Retail Inflation In February : देश में खुदरा महंगाई में इजाफा हुआ
कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे के बीच पेट्रोल-डीजल (Petrol Diesel) के रेट भले ही न बढ़ें, लेकिन महंगाई में इजाफा हो रहा है. सरकार की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, खुदरा महंगाई (RETAIL INFLATION) आठ माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. जनवरी में यह 6.01 फीसदी पर थी, जो अब बढ़कर 6.07 फीसदी हो गई है. खुदरा महंगाई की ये दर रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा महंगाई को काबू में रखने की सीमा से ऊपर है, जो छह फीसदी तय की गई थी. अगर महंगाई में बढ़ोतरी का यही रुख जारी रहता है तो रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में बढ़ोतरी का रुख करना पड़ सकता है. आरबीआई ने पिछले दो सालों से रेपो रेट को करीब चार फीसदी के आसपास बनाए रखा है. अगर ब्याज दरें बढ़ती हैं तो आपकी होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन की ईएमआई भी बढ़ेगी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, थोक महंगाई भी फरवरी माह में बढ़ी है. यह लगातार 11वां महीना है, जब थोक महंगाई दोहरे अंकों में रही है. थोक महंगाई फरवरी में 13.11 फीसदी रही है, जो जनवरी 2022 में 12.96 फीसदी रही थी. ईंधन और बिजली की महंगाई सबसे ज्यादा 31.50 फीसदी रही है.
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गौरतलब है कि यूक्रेन संकट के बीच दुनिया भर में तेल-गैस औऱ धातुओं के दाम तेजी से बढ़े हैं. इस कारण भारत में भी महंगाई में वृद्धि का रुख देखा जा रहा है. अमेरिका में मुद्रास्फीति करीब 40 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है. फेडरल रिजर्व ने साफ तौर पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी का संकेत दिया है, ताकि महंगाई को काबू में किया जा सके. भारत में आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कच्चे तेल के बाजार के दामों के हिसाब से पेट्रोल औऱ डीजल के रेट भी बढ़ते हैं तो महंगाई में और इजाफे की संभावना है. इससे खाद्य पदार्थों, फल और सब्जियों के दाम भी बढ़ेंगे, क्योंकि परिवहन लागत बढ़ने या कच्चा माल महंगा होने का इन पर सीधा असर पड़ता है.
खुदरा मूल्य सूचकांक Consumer Price Index (CPI) की बात करें तो पिछले साल फरवरी 2021 में खुदरा महंगाई 5.03 फीसदी थी. इससे पहले जून 2021 में रिटेल इन्फ्लेशन 6.26 परसेंट थी. रिजर्व बैंक से सरकार ने यह सुनिश्चित करने को कहा है कि खुदरा महंगाई 4 फीसदी के आसपास बनाए रखी जाए, यह दो फीसदी तक ऊपर या नीचे हो सकती है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के मुताबिक, फूड बास्केट यानी खाद्य पदार्थों की महंगाई 5.89 फीसदी तक पहुंच गई है, जो पिछले माह 5.43 फीसदी रही थी. खाद्य पेय पदार्थों की महंगाई भी 15 महीने के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है.
फूड बास्केट में अनाज की महंगाई 3.95 फीसदी बढ़ी है. जबकि मांस और मछली 7.45 फीसदी तक बढ़ी है. अंडे भी 4.15 प्रतिशत तक महंगे हो गए हैं. सब्जियों की महंगाई 6.13 प्रतिशत रही है. जबकि मसाले भी 6.09 फीसदी तक बढ़ी है. फलों की महंगाई में 2.26 फीसदी का इजाफा हुआ है.
आरबीआई मुख्यतया मौद्रिक नीति की समीक्षा करते समय खुदरा महंगाई के आंकड़ों पर गौर करता है. वर्ष 2020 से ब्याज दरों में वृद्धि नहीं हुई है. कोरोना काल में अर्थव्यवस्था को सहारा देने और आर्थिक विकास दर को दोबारा पटरी पर लाने की कवायद के बीच ऐसा किया गया था.
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