विज्ञापन
This Article is From Jan 26, 2017

अशोक चक्र पाने वाले जांबाज हंगपन दादा ने जब पानी में डूबते दोस्‍त की जान बचाई थी...

अशोक चक्र पाने वाले जांबाज हंगपन दादा ने जब पानी में डूबते दोस्‍त की जान बचाई थी...
नई दिल्‍ली: कश्‍मीर के नौगाम सेक्टर में पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ का प्रयास कर रहे चार आतंकवादियों का बहादुरी से सामना कर उन्‍हें मार गिराने वाले शहीद हवलदार हंगपन दादा को गणतंत्र दिवस पर मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.  

शहीद हंगपन दादा की पत्नी चासेन लोवांग दादा ने नम आंखों के साथ राष्‍टप्रति प्रणब मुखर्जी के हाथों यह सम्‍मान ग्रहण किया. यह शांतिकाल का सर्वोच्‍च वीरता अवॉर्ड है. दादा को यह सम्मान उनके अदम्य साहस, वीरता और बलिदान के लिए दिया गया.

गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि अबू धाबी के राजकुमार मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस भावुक क्षण के गवाह रहे. राष्ट्रपति ने इस शहीद जवान के साहस को सलामी दी.

26 मई 2016 को हुआ था ऑपरेशन...

कुपवाड़ा जिले के नौगाम सेक्‍टर में चार आतंकियों को घुसपैठ करते हुए देखा गया. उन पर लगातार नजर रखी जा रही थी. साबू पोस्‍ट पर तैनात हंगपन दादा को सूचित किया गया कि मीरा नार से साबू की तरफ चार आतंकियों की 'हरकत' देखी गई है. दादा को उनकी टीम के साथ मीरा नार की तरफ से निकल भागने वाले रूट को ब्‍लॉक करने को कहा गया. इसके बाद आतंकियों पर फायरिंग की गई. दादा आगे बढ़े और उन्‍होंने छिपे एक आतंकी को ढेर कर दिया. इसके बाद दादा ने अपने साथी से कहा कि मैं आगे जाता हूं, तुम मुझे सपोर्ट फायर देना. इसके बाद उन्‍होंने आगे बढ़ते हुए दूसरे आतंकी को भी खत्‍म कर दिया. इसके बाद टीमें दो टोली में बंट गई. इनमें एक हंगपन दादा की टोली थी. हवलदार दादा ने सबसे पहले लीड करते हुए तीसरे आतंकी को सामने से मार गिराया. लेकिन जब वे और आगे बढ़े तो चौथे आतंकी ने उन्‍हें पेट में गोली मार दी. थोड़ी देर बाद वे पेट पकड़कर दोबारा हिम्‍मत जुटाते हुए दोबारा खड़े होने की कोशिश की, लेकिन उन्‍हें दोबारा आतंकी की गोली लगी. उनकी इस कार्रवाई से चौथे आतंकी को भी ढेर कर दिया गया.

बचपन से ही दौड़ लगाते, पुश-अप करते थे हंगपन दादा
अरुणाचल प्रदेश के बोरदुरिया गांव में जन्‍मे हंगपन दादा के बड़े भाई लापहंग दादा बताते हैं कि हंगपन बचपन में शरारती थे. वो बचपन में पेड़ पर चढ़कर फलों को तोड़कर खुद भी खाते और अपने दोस्‍तों को भी खिलाते. वो शारीरिक रूप से बेहद फिट थे. हर सुबह वो दौड़ लगाते, पुश-अप करते. इसी दौरान खोंसा में सेना की भर्ती रैली हुई, जहां से उनका सिलेक्‍शन सेना में हुआ.

सेना में जाने के बाद काम से काफी खुश थे दादा
गांव के डॉन बॉस्को चर्च के फादर प्रदीप बताते हैं मेरी उनसे करीब दस बार से मिला होऊंगा. उन्‍होंने बताया था कि सेना में जाने के बाद वे अपने काम से काफी खुश थे. वे मेरे पास आए थे और मुझसे कहा था कि फादर मेरी पोस्टिंग जम्‍मू-कश्‍मीर हो रही है.

जब बचपन में बचाई थी डूबते दोस्‍त की जान
हंगपन दादा के बचपन के मित्र सोमहंग लमऱा कहते हैं कि आज मैं जिंदा हूं तो हंगपन दादा की वजह से. उन्‍होंने बचपन में मुझे पानी में डूबने से बचाया था. हंगपन को फुटबॉल खेलना, दौड़ना सरीखे सभी कामों में जीतना पसंद था.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com