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This Article is From Jul 14, 2015

पढ़िए, कई मायनों में ऐतिहासिक रहा जस्टिस लोढा का फैसला

पढ़िए, कई मायनों में ऐतिहासिक रहा जस्टिस लोढा का फैसला
पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढा की फाइल फोटो
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में कई ऐतिहासिक फैसलों को देने वाले पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढा।आईपीएल फिक्सिंग पर आया फैसला भी कई मायनों में ऐतिहासिक रहा, जाहिर है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जस्टिस लोढा को इसके लिए चुना था। सुप्रीम कोर्ट कवर करते करते दो साल मुझे भी हो गए हैं, लेकिन इस तरह इतने बड़े मुददे पर इतना बड़ा फैसला पहली बार कैमरों में लाइव सुनाया गया।

जस्टिस लोढा अपनी टीम के साथ एक बजे के वक्त के लिए सवा बारह बजे ही इंडिया हेबिटेट सेंटर पहुंच गए थे। इसके बाद वो 1 बजने से कुछ देर पहले सिल्वर ऑक 2 हॉल में पहुंचे। मीडिया के कैमरों ने उन्हें चारों तरफ से घेरे लिया। जोर-जोर से आवाजें आने लगी। लेकिन, जस्टिस लोढा ने साफ कर दिया कि उन्हें शांति चाहिए।

उन्होंने ये भी कहा कि एक बज गया है अब फैसले का वक्त है। इसके बाद उन्होंने अपने फैसले को सुनाना शुरू कर दिया और सारे चैनलों ने इसका लाइव प्रसारण भी किया। आमतौर पर जब सुप्रीम कोर्ट में इस तरहा का फैसला आता है तो हालात अलग होते हैं। कोर्ट में मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं होती, लिहाजा सब पत्रकार भीतर जज का फैसला सुनते हैं। नोट करते हैं।

इसके बाद बाहर आकर सब अपने आफिस में फैसले को भेजते हैं। कई बार जज इतना धीमा बोलते हैं कि सारा फैसला सही से सुनाई नहीं देता। ऐसे में इधर उधर से पूछताछ करनी होती है। लेकिन, यहां ऐसा कुछ नहीं था। बकायदा माइक में जस्टिस लोढा ने पूरा जजमेंट पढ़ा।   एक एक शब्द बोला जो कैमरों के जरिए सीधे जनता तक पहुंच गया।

कहीं कोई कंफयूजन नहीं। सुप्रीम कोर्ट की तरह ही जस्टिस लोढा, जस्टिस अशोक भान और जस्टिस रविंद्रन ने इस पर साइन किए। बाद में इसकी कॉपी वकीलों को सौंप दी। यहां तक कि उन्होंने बाद में मीडिया के सवालों के जवाब भी दिए। ये भी बताया कि आगे वो क्या करने वाले हैं। किसी और फैसले में कई बार न्यूजरूम से कॉल आती थी। कुछ सवालों के जवाब मांगे जाते थे। लेकिन, इस बार ऐसा नहीं हुआ।

जस्टिस लोढा बोलते रहे और ब्रेकिंग न्यूज चलती रही। हालांकि, पहले उन्होंने इस जजमेंट में कैमरों की मौजूदगी से इंकार किया था, लेकिन बाद में वो तैयार हो गए थे। हालांकि, ये हॉल काफी छोटा था लेकिन, बाद में मीडिया की भीड़ को देखते हुए हॉल का दूसरा हिस्सा भी खोल दिया गया। यहां एक और दिलचस्प घटना भी हुई। हॉल के बाहर ही खाने का इंतजाम था।

कॉफी थी और मिनरल वाटर की बोतलें भी रखी थी। सभी को लगा पैनल पहले फैसला सुनाएगा और इसके बाद लंच कराएगा। लगे हाथ मिनरल वाटर की बोतलों से मीडियाकर्मियों ने पानी भी पिया। करीब 100 से ज्यादा बोतलें खाली कर दी। जस्टिस लोढा अपने पैनल के साथ आए और जजमेंट सुनाया फिर चले गए। कई लोगों ने सोचा अब लंच खोला जाएगा। लेकिन, दो घंटे तक भी ऐसा नहीं हुआ।

बाद में पता चला कि वहीं पर कोई और कार्यक्रम चल रहा था और ये लंच उसका था। आमतौर पर कार्यक्रम के बाद हॉल खाली हो जाता है, लेकिन यहां मीडिया के लोग तीन घंटे तक जमे रहे। अभी ये यही खत्म नहीं हुआ, क्योंकि जस्टिस लोढा ने कहा है, आगे की कार्रवाई चल रही है, कुछ वक्त के बाद फिर मिलेंगे।

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