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This Article is From Apr 16, 2017

पढ़िए, कुंवारे लोगों को सरोगेसी के लाभ से कैसे वंचित करता है प्रस्तावित नियम?

पढ़िए, कुंवारे लोगों को सरोगेसी के लाभ से कैसे वंचित करता है प्रस्तावित नियम?
प्रतीकात्मक फोटो
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Summary is AI generated, newsroom reviewed.
इस सुविधा का लाभ सिर्फ कानूनी तौर पर शादीशुदा जोड़े ही ले सकते हैं.
तुषार कपूर पिछले साल सरोगेसी के माध्‍यम से एक बेटे के पिता बने हैं.
इसी साल करण जौहर भी सरोगेसी के माधयम से जुड़वां बच्चों के पापा बने.
नई दिल्ली: करण जौहर और तुषार कपूर जैसे बॉलीवुड सिलेब्रिटी सरोगेसी की मदद से पिता होने का सुख उठा पाए, लेकिन संतान सुख चाहने वाले ऐसे बाकी कुंवारे लोगों को भविष्य में इस दिशा में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, प्रस्तावित सरोगेसी कानून कहता है कि इस सुविधा का लाभ सिर्फ कानूनी तौर पर शादीशुदा जोड़े ही ले सकते हैं.

वकीलों और डॉक्टरों समेत कई विशेषज्ञों का मानना है कि सरोगेसी की सुविधा के लाभ से एकल माता-पिता को वंचित नहीं किया जाना चाहिए और जोड़ों के पास भी यह विकल्प होना चाहिए कि वे किसी ऐसी महिला को सेरोगेट मां के तौर पर चुन सकें, जो उनकी करीबी रिश्तेदार नहीं है.

हालांकि वरिष्ठ वकील शेखर नफाडे इस पूरे मुद्दे पर एक अलग और मिला-जुला रूख रखते हैं. उन्होंने यह बात मानी कि चर्चित हस्तियों में एकल माता-पिता बनने का एक ‘चलन’ हो गया है. हालांकि उन्होंने इस बात की वकालत की कि दंपति की करीबी महिला को ही सेरोगेट मां बनने की अनुमति देने वाला प्रावधान हटाया जाना चाहिए.

सरोगेसी (नियमन) विधेयक, 2016 पिछले साल लोकसभा में लाया गया था. इस विधेयक को पारिवारिक कानूनों के मामलों को देखने वाले अनिल मल्होत्रा और प्रिया हिंगोरानी जैसे वकीलों की ओर से आलोचना का सामना करना पड़ा. इन्होंने समलैंगिकों से माता-पिता बनने का सुख छीन लेने वाले प्रावधानों पर हमला बोला. इस विधेयक का एक प्रावधान कहता है कि केवल कानूनी तौर पर शादीशुदा लोग ही सरोगेसी का लाभ ले सकते हैं.

बता दें, तुषार कपूर पिछले साल सरोगेसी के माध्‍यम से एक बेटे के पिता बने हैं. तुषार अपने बेटे लक्ष्‍य को लेकर इतने केयरिंग हैं कि अब वह अपनी अगली फिल्‍म की शूटिंग के दौरान भी अपने 9 महीने के बेटे लक्ष्‍य को साथ लेकर जाने की तैयारी कर रहे हैं.

वहीं, इसी साल करण जौहर भी सरोगेसी के माधयम से जुड़वां बच्चों के पापा बने. करण ने अपने बच्‍चों के नाम अपने पिता और मां के नाम पर रखें हैं. अपने इन बच्‍चों की परवरिश पर करण का कहना है कि वह चाहते हैं कि उनके बच्चें हिंदी फिल्म संगीत सुनें, जिसे सुनकर वह बड़े हुए थे.

(इनपुट एजेंसियों से भी)

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