भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) ने साल 2020-21 के लिए वास्तविक जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) का संशोधित अनुमान -7.5 फीसदी जताया है. पहले यह अनुमान -9.5 प्रतिशत के पास जताया गया था. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद ऑनलाइन ब्रीफिंग में इसका ऐलान किया. रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा था कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी वृद्धि दर में 9.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान है. यानी तीन महीने में दो फीसदी की फास्ट रिकवरी का अनुमान रिजर्व बैंक ने जताया है.
आरबीआई गवर्नर ने विश्वास दिलाया है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था में सकारात्मक जीडीपी ग्रोथ दिखाई देगा. RBI का यह संशोधित अनुमान अर्थव्यवस्था में आई हल्की तेजी और वित्त वर्ष 21 की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति बैठक में इकॉनोमी में "समायोजनकारी" नीति को अपनाने कै फैसले के आधार पर जताया गया है.
RBI ने नहीं किया मुख्य दरों में बदलाव, रेपो रेट चार फीसदी पर बरकरार
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ऑनलाइन ब्रीफिंग में मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट में 0.1 फीसदी की वृद्धि और और चौथी तिमाही में 0.7 फीसदी की वृद्धि का भी अनुमान जताया है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में मांग में वृद्धि की वजह से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के आसार हैं. उन्होंने कहा कि शहरी इलाकों में मांग में तेजी देखी गई है.
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कोरोना वायरस महामारी के बीच अर्थव्यवस्था में गिरावट के बीच RBI ने प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. केंद्रीय बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) को 4 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला लिया गया है. लगातार तीसरी बार रेपो रेट को मौजूदा स्तर पर रखा गया है. मुद्रास्फीति का उच्च स्तर और जीडीपी (GDP) में गिरावट को देखते हुए कई अर्थशास्त्रियों ने पहले ही रेपो रेट को मौजूदा स्तर पर बनाए रखने का अनुमान जताया था.
रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) को भी 3.35 प्रतिशत के पूर्व स्तर पर रखा है. केंद्रीय बैंक ने नीति को लेकर "उदार" रुख को बरकरार रखा है. आरबीआई ने मई से रेपो रेट यानी जिस दर पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है उसे 4 प्रतिशत पर रखा हुआ है. यह 19 साल का निम्न स्तर है.
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