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मुंबई: 1 अप्रैल से शुरू हुए वित्त वर्ष 2022-23 में पहली मौद्रिक नीति का ऐलान करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने प्रमुख ब्याज दरों, यानी रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. देश के केंद्रीय बैंक RBI ने शुक्रवार (9 अप्रैल) को नीतिगत दर को लगातार 11वीं बार यथावत रखते हुए इसे 4 प्रतिशत पर कायम रखने का ऐलान किया है. रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा गया है.
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है. दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी की वजह से पैदा हुई सुस्ती से धीरे-धीरे उबर रही है. उन्होंने कहा, चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति बढ़कर 5.7 प्रतिशत पर पहुंच सकती है. पहले इसके 4.5 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान था. दास ने कहा कि ईंधन के ऊंचे दामों की वजह से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और निकट भविष्य में खाद्य तेलों की कीमतें ऊंचे स्तर पर रहेंगी.
आरबीआई गवर्नरने कहा, रबी फसलों की अच्छी पैदावार से ग्रामीण मांग को समर्थन मिलना चाहिए, संपर्क वाली सेवाओं में तेजी आने से शहरी मांग को सहारा मिल सकता है. उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध आर्थिक सुधार की गति को धीमा कर सकता है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति का ऐलान करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था बड़े विदेशी मुद्रा भंडार की वजह से संतोषजनक स्थिति में है. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था के ‘बचाव' के लिए पूरी तरह से तैयार है. महंगाई से जूझ रहे देशवासियों को भले ही ब्याज दरें घटाए जाने की राहत नहीं मिल पाई है, लेकिन ब्याज दरें नहीं बढ़ाकर भी उन्हें राहत ही दी गई है.
जानें, क्या हैं रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और सीआरआर...?
चालू वित्त वर्ष 2022-23 में ये मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक है. इससे पहले की 10 बैठकों में समिति ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट यानी की नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 को रेपो रेट में कटौती की थी, तब से यह 4% के अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर कायम है.
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सरकार ने केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति को 2 से 6 प्रतिशत के दायरे में रखने का आदेश दिया है. फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 6.07 प्रतिशत हो गई थी, जो आरबीआई की लक्ष्य सीमा की ऊपरी सीमा को पार कर गई थी.