कांग्रेस नेता व प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला (Randeep Singh Surjewala) वर्तमान में हरियाणा के कैथल से विधायक हैं. जाट समुदाय से आने वाले रणदीप सुरजेवाला कांग्रेस का युवा चेहरा हैं. इतना ही नहीं, वह राहुल गांधी के विश्वासपात्र समझे जाते हैं. इसी साल हरियाणा के जींद विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव के दौरान रणदीप सिंह सुरजेवाला कांग्रेस के उम्मीदवार थे, लेकिन उन्हें तीसरे स्थान पर संतुष्ट रहना पड़ा था, जबकि बीजेपी के कृष्ण मिड्ढा (Krishan Middha) ने 14,686 वोट से जीत हासिल कर ली थी.
राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले रणदीप सिंह सुरजेवाला का जन्म 3 जून 1967 को चंडीगढ़ में हुआ. इनके पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला हरियाणा के कृषि व सहकारिता मंत्री रह चुके हैं. रणदीप की शुरुआती पढ़ाई नरवाना के आदर्श बाल मंदिर व आर्य उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में हुई. चूंकि पिता राजनीति से जुड़े हुए थे तो स्वाभाविक था कि उन्हें भी राजनीति में रूचि होगी. साल 1981-85 में उन्होंने डीएवी स्कूल से कॉमर्स में ग्रेजुएट और फिर वर्ष 1985-88 में चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय स्थित स्नातक विधि विभाग से लॉ डिग्री ली. यहीं से ही रणदीप ने राजनीति विज्ञान में एमए भी किया.
रणदीप सुरजेवाला को 17 वर्ष की आयु में उन्हें हरियाणा प्रदेश युवा कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया गया. एक वकील के तौर पर रणदीप सुरजेवाला ने अपनी प्रैक्टिस 21 वर्ष की आयु में 1988 में दिल्ली की एक वकालत फर्म श्रॉफ एंड कंपनी से शुरू की, जिसे 1991 से पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय में जारी रखा. 1987 से 1990 के दौरान वे अपने पिता के साथ, जो कि उस समय पार्टी अध्यक्ष थे, हरियाणा में कांग्रेस को मजबूत करने में लगे रहे.
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मार्च 2000 में वे भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले प्रथम हरियाणवी बने. वह इस पद पर फरवरी 2005 तक रहे जो कि भारतीय युवा कांग्रेस के इतिहास में सबसे लंबा कार्यकाल था. हरिय़ाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिसंबर 2004 में, 37 वर्ष की आयु में, वे हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी का पदभार संभालने वाले सबसे कम आयु के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त हुए.
रणदीप सुरजेवाला ने छह बार (1993 उपचुनाव, 1996, 2000, 2005, 2009 व 2014) हरियाणा विधानसभा के लिए चुनाव लड़े. 1996 और 2005 चुनावों में उन्होंने ओम प्रकाश चौटाला को हराया, जो तत्कालीन मुख्यमंत्री थे. 2014 के चुनावों में कांग्रेस प्रदेश में निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद वह अपनी सीट से बचाने में कामयाब रहे और जीत हासिल की. वर्तमान में वह कैथल विधानसभा सीट से विधायक हैं.
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