फाइल फोटो
नई दिल्ली:
राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव के वोटों की गिनती जारी है. शाम 5 बजे तक साफ हो जाएगा कि देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा. रामनाथ कोविंद और मीरा कुमार दोनों में से कोई भी जीते यह दूसरा मौका जब कोई दलित समुदाय से आया शख्स देश का राष्ट्रपति बनेगा. हालांकि कानपुर देहात जिले में स्थित उनके गांव परौंख में अभी जश्न का माहौल है. दरअसल, कोविंद की जीत तय मानी जा रही है. उनके घर परिवार में खुशियां मनाई जा रही हैं. वहां लोग इकट्ठे होकर गाना-बजाना कर रहे हैं. वे गा रहे हैं- मेरे बाबा की भई सरकार...
लेकिन रामनाथ कोविंद के बारे में कुछ ऐसी बाते हैं जो शायद ही कोई जानता हो. रामनाथ कोविंद प्रशासनिक सेवा में जाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा भी दी लेकिन एलाएड सेवा के लिए चयनित किए गए तो उन्होंने इस नौकरी को ज्वाइन नहीं किया. मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले 1993 में परौंख गांव से वह कानपुर शहर रहने आए और यहां पर वह कल्याणपुर इलाके के न्यू आजाद नगर में एक प्रोफेसर के घर में 2 कमरे लेकर किराए में रहते थे. यहां पर 30 रुपया किराया देते थे. करीब 12 साल तक कोविंद का परिवार यहां पर रहा और 2005 में इसी इलाके के दयानंद विहार में अपना मकान बनवा लिया.
यह भी पढ़ें : रामनाथ कोविंद के गांव में जश्न का माहौल, लोग गा रहे हैं- 'मेरे बाबा की भई सरकार...'
रामनाथ कोविंद हमेशा से ही सादगी का जीवन पसंद करते रहे हैं. बहुत कम लोग जानते होंगे कि दिल्ली शिफ्ट होने के बाद उन्होंने कानपुर वाले मकान को बारातशाला के लिए दान कर दिया. रामनाथ कोविंद तीन छोटे भाइयों में सबसे छोटे हैं और पूरा परिवार बहुत साधारण और सामान्य जिंदगी जीता है.
लेकिन रामनाथ कोविंद के बारे में कुछ ऐसी बाते हैं जो शायद ही कोई जानता हो. रामनाथ कोविंद प्रशासनिक सेवा में जाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा भी दी लेकिन एलाएड सेवा के लिए चयनित किए गए तो उन्होंने इस नौकरी को ज्वाइन नहीं किया. मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले 1993 में परौंख गांव से वह कानपुर शहर रहने आए और यहां पर वह कल्याणपुर इलाके के न्यू आजाद नगर में एक प्रोफेसर के घर में 2 कमरे लेकर किराए में रहते थे. यहां पर 30 रुपया किराया देते थे. करीब 12 साल तक कोविंद का परिवार यहां पर रहा और 2005 में इसी इलाके के दयानंद विहार में अपना मकान बनवा लिया.
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रामनाथ कोविंद हमेशा से ही सादगी का जीवन पसंद करते रहे हैं. बहुत कम लोग जानते होंगे कि दिल्ली शिफ्ट होने के बाद उन्होंने कानपुर वाले मकान को बारातशाला के लिए दान कर दिया. रामनाथ कोविंद तीन छोटे भाइयों में सबसे छोटे हैं और पूरा परिवार बहुत साधारण और सामान्य जिंदगी जीता है.
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