स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश को संबोधित किया. स्वतंत्रता दिवस संबोधन के दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियो, कल हमारी आज़ादी के 72 वर्ष पूरे हो रहे हैं. कल हम अपनी स्वाधीनता की वर्षगांठ मनाएंगे. राष्ट्र-गौरव के इस अवसर पर मैं आप सभी देशवासियों को बधाई देता हूं. यह स्वाधीनता दिवस भारत-माता की सभी संतानों के लिए बेहद खुशी का दिन है, चाहे वे देश में हों या विदेश में हो. उन्होंने कहा कि हम अपने उन असंख्य स्वतन्त्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों को कृतज्ञता के साथ याद करते हैं, जिन्होंने हमें आज़ादी दिलाने के लिए संघर्ष, त्याग और बलिदान के महान आदर्श प्रस्तुत किए.
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राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि 2 अक्टूबर को हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाएंगे. गांधीजी, हमारे स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे. वे समाज को हर प्रकार के अन्याय से मुक्त कराने के प्रयासों में हमारे मार्गदर्शक भी थे. गांधीजी का मार्गदर्शन आज भी उतना ही प्रासंगिक है. उन्होंने हमारी आज की गंभीर चुनौतियों का अनुमान पहले ही कर लिया था.गांधीजी मानते थे कि हमें प्रकृति के संसाधनों का उपयोग विवेक के साथ करना चाहिए ताकि विकास और प्रकृति का संतुलन हमेशा बना रहे. उन्होंने कहा कि वर्तमान में चल रहे हमारे अनेक प्रयास गांधीजी के विचारों को ही यथार्थ रूप देते हैं. अनेक कल्याणकारी कार्यक्रमों के माध्यम से हमारे देशवासियों का जीवन बेहतर बनाया जा रहा है. सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने पर विशेष ज़ोर देना भी गांधीजी की सोच के अनुरूप है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि 2019 का यह साल, गुरु नानक देवजी का 550वां जयंती वर्ष भी है. वे भारत के सबसे महान संतों में से एक हैं. गुरु नानक देवजी के सभी अनुयायियों को मैं इस पावन जयंती वर्ष के लिए अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं. जिस महान पीढ़ी के लोगों ने हमें आज़ादी दिलाई, उनके लिए स्वाधीनता, केवल राजनीतिक सत्ता को हासिल करने तक सीमित नहीं थी. उनका उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति के जीवन और समाज की व्यवस्था को बेहतर बनाना भी था.
हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसी साल गर्मियों में, आप सभी देशवासियों ने 17वें आम चुनाव में भाग लेकर विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सम्पन्न किया है. इस उपलब्धि के लिए, सभी मतदाता बधाई के पात्र हैं. यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि अपने गौरवशाली देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए जोश के साथ, कंधे से कंधा मिलाकर काम करें. उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि संसद के हाल ही में संपन्न हुए सत्र में लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही सदनों की बैठकें बहुत सफल रही हैं.
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जम्मू कश्मीर में धारा 370 के हटाए जाने पर उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए हाल ही में किए गए बदलावों से वहां के निवासी बहुत अधिक लाभान्वित होंगे. जम्मू कश्मीर भी अब उन सभी अधिकारोंऔर सुविधाओं का लाभ उठा पाएंगे जो देश के दूसरे क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को मिलती हैं. वे भी अब समानता को बढ़ावा देने वाले प्रगतिशील क़ानूनों और प्रावधानों का उपयोग कर सकेंगे. 'शिक्षा का अधिकार' कानून लागू होने से सभी बच्चों के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी. 'सूचना का अधिकार' मिल जाने से, अब वहां के लोग जनहित से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे. पारंपरिक रूप से वंचित रहे वर्गों के लोगों को शिक्षा व नौकरी में आरक्षण और अन्य सुविधाएं मिल सकेंगी. और 'तीन तलाक' जैसे अभिशाप के समाप्त हो जाने से वहां की हमारी बेटियों को भी न्याय मिलेगा और उन्हें भयमुक्त जीवन जीने का अवसर मिलेगा.
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि लोकतन्त्र को मजबूत बनाने के लिए,संसद और विधानसभाओं में,आदर्शकार्य-संस्कृति का उदाहरण प्रस्तुत करनाआवश्यक है. केवल इसलिए नहीं कि निर्वाचित सदस्य अपने मतदाताओंके विश्वास पर खरे उतरें. बल्कि इसलिए भी कि राष्ट्र-निर्माण के अभियान में हर संस्था और हितधारक को एक-जुट होकर काम करने की आवश्यकता होती है. एक-जुट होकर आगे बढ़ने की इसी भावना के बल पर हमें स्वाधीनता प्राप्त हुई थी. मतदाताओं और जन-प्रतिनिधियों के बीच,नागरिकों और सरकारों के बीच,और सिविल सोसायटी औरप्रशासन के बीच आदर्श साझेदारी से हीराष्ट्र-निर्माण का हमारा अभियान और मजबूत होगा.
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अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि इस साझेदारी में सरकार की भूमिका लोगों की सहायता करने और उन्हें समर्थ बनाने की है. इसके लिए, हमारी संस्थाओं और नीति निर्माताओं को चाहिए कि नागरिकों से जो संकेत उन्हें मिलते हैं,उन पर पूरा ध्यान दें और देशवासियों के विचारों तथाइच्छाओं का सम्मान करें. भारत के राष्ट्रपति के रूप में मुझे देश के विभिन्न क्षेत्रों की यात्रा पर जाने का अवसर प्राप्त होता है. इन यात्राओं के दौरान, विभिन्न कार्य-क्षेत्रों से जुड़े देशवासियों से भी मिलता हूं. मैंने महसूस किया है कि भारत के लोगों की रुचियां और आदतें भले ही अलग-अलग हों, लेकिन उनके सपने एक जैसे हैं. 1947 से पहले, सभी भारतीयों का लक्ष्य था कि देश को आज़ादी प्राप्त हो.आज हमारा लक्ष्य है कि विकास की गति तेज हो,शासन व्यवस्था कुशल औरपारदर्शी होताकि लोगों का जीवन बेहतर हो.
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उन्होंने कहा कि देशवासियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए,सरकार अनेक बुनियादी सुविधाएं प्रदान कर रही है. गरीब से गरीब लोगों के लिए घर बनाकर, और हर घर में बिजली, शौचालय और पानी की सुविधा देकर, सरकार बुनियादी ढांचे को मजबूत बना रही है. हर देशवासी के घर में नल के जरिए पीने का पानी पहुंचाने, किसान भाई-बहनों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने और देश में कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे की समस्या का प्रभावी समाधान करने के लिए जल-शक्ति के सदुपयोग पर विशेष बल दिया जा रहा है. जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ हम सभी देशवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी.
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अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि देश के सभी हिस्सों में संचार सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं. इसके लिए गांव-गांव को सड़कों से जोड़ा जा रहा है और बेहतर राजमार्ग बनाए जा रहे हैं. रेलयात्रा को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाया जा रहा है. मेट्रो-रेल की सेवा के जरिए अनेक शहरों में लोगों का आवागमन आसान किया जा रहा है. छोटे शहरों को भी हवाई यात्रा की सुविधा से जोड़ा जा रहा है. नए बंदरगाह बनाए जा रहे हैं और साथ ही अस्पतालों, शिक्षण संस्थानों, हवाई-अड्डों, रेलवे स्टेशनों, बस-अड्डों और बन्दरगाहों को आधुनिक बनाया जा रहा है. सामान्य व्यक्ति के हित में,बैंकिंग सुविधा कोअधिक पारदर्शीऔर समावेशी बनाया गया है. उद्यमियों के लिए कर-व्यवस्था और पूंजी की उपलब्धता आसान बनाई गई है. डिजिटल इंडिया के माध्यम से सरकार, लोगों तक नागरिक सुविधाएं और उपयोगी जानकारी पहुंचा रही है.
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अनुसार सरकार,बड़े पैमाने परस्वास्थ्य-सेवाएं प्रदान कर रही है. दिव्यांग-जनों को मुख्य-धारा से जोड़ने के लिए उन्हें विशेष सुविधाएंदी जा रही हैं. महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार ने, कानून और न्याय-व्यवस्था में आवश्यक सुधार किए हैं. देशवासियों का जीवन आसान बनाने के लिए अनुपयोगी कानूनों को भी निरस्त किया गया है. सरकार के इन प्रयासों का पूरा लाभ उठाने के लिए हम सभी नागरिकों को जागरूक और सक्रिय रहना होगा. समाज के हित में और हम सभी की अपनी बेहतरी के लिए यह जरूरी है किसरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई बुनियादी सुविधाओं का हम सदुपयोग करें.
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अपने संबोधन में उन्होंने कहा उदाहरण के तौर पर देखें तो, ग्रामीण सड़कों और बेहतर कनेक्टिविटी का पूरा लाभ तभी मिलेगा जब हमारे किसान भाई-बहन उनका उपयोग करके मंडियों तक पहुंचें और अपनी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकें. वित्त और राजस्व के क्षेत्र में किए गए सुधारों और व्यापार के नियमों को सरल बनाने का पूरा लाभ तभी मिलेगा, जब हमारे छोटे स्टार्ट-अप या काम-धंधे और बड़े उद्योग,नए तरीके से आगे बढ़ें और रोजगार पैदा करें. हर घर में शौचालय और पानी उपलब्ध कराने का पूरा लाभ तभी मिलेगा, जब इन सुविधाओं से,हमारी बहन-बेटियों का सशक्तीकरण हो और उनकी गरिमा बढ़े. वे घर की दुनिया से बाहर निकलकर अपनी आकांक्षाओं को पूरा करें. उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार, जीवन जीने की आज़ादी हो. वे घर संभालने में अथवा कामकाजी महिलाओं के रूप में अपने भाग्य का निर्माण स्वयं करें.
राष्ट्रपति ने कहा कि समाज और राष्ट्र के विकास के लिए बनाए गए इन्फ्रास्ट्रक्चर का सदुपयोग करना और उसकी रक्षा करना, हम सभी का कर्तव्य है. यह इन्फ्रास्ट्रक्चर हर भारतवासी का है, हम सब का है क्योंकि यह राष्ट्रीय संपत्ति है. राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा भी,स्वाधीनता की रक्षा से जुड़ी हुई है. हमारे जो कर्तव्यनिष्ठ नागरिक राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा करते हैं. वे देशप्रेम की उसी भावना और संकल्प का परिचय देते हैं, जिसका प्रदर्शन हमारे सशस्त्र बल,अर्धसैनिक बल और पुलिस बल के बहादुर जवान और सिपाही देश की कानून-व्यवस्था बनाए रखने व सीमाओं की रक्षा में करते हैं. मान लीजिए कि कोई गैर-जिम्मेदार व्यक्ति किसी ट्रेन या अन्य सार्वजनिक संपत्ति पर पत्थर फेंकता है या उसे नुकसान पहुंचाने वाला है. और यदि आप उसे ऐसा करने से रोकते हैं तो आप देश की मूल्यवान संपत्ति की रक्षा करते हैं. ऐसा करके आप कानून का पालन तो करते ही हैं, साथ ही,अपनी अंतरात्मा की आवाज के अनुसार एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपना कर्तव्य भी निभाते हैं.
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उन्होंने कहा कि जब हम अपने देश की समावेशी संस्कृति की बात करते हैं तब हम सबको यह भी देखना है कि हमारा आपसी व्यवहार कैसा हो. सभी व्यक्तियों के साथ हमें वैसा ही सम्मान-जनक व्यवहार करना चाहिए जैसा हम उनसे अपने लिए चाहते हैं. भारत का समाज तो हमेशा से सहज और सरल रहा है, और 'जियो और जीने दो' के सिद्धांत पर चलता रहा है. हम भाषा, पंथ और क्षेत्र की सीमाओं से ऊपर उठकर एक दूसरे का सम्मान करते रहे हैं. हजारों वर्षों के इतिहास में, भारतीय समाज ने शायद ही कभी दुर्भावना या पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर काम किया हो. मेल-जोल के साथ रहना, भाई-चारा निभाना, निरंतर सुधार करते रहना और समन्वय पर ज़ोर देना,हमारे इतिहास और विरासत का बुनियादी हिस्सा रहा है. हमारी नियति और भविष्य को संवारने में भी इनकी प्रमुख भूमिका रहेगी. हमने दूसरों के अच्छे विचारों को खुशी-खुशी अपनाया है, और सदैव उदारता का परिचय दिया है.
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत युवाओं का देश है. हमारे समाज का स्वरूप तय करने में युवाओं की भागीदारी निरंतर बढ़ रही है. हमारे युवाओं की ऊर्जा खेल से लेकर विज्ञान तक और ज्ञान की खोज से लेकर सॉफ्ट स्किल तक कई क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा बिखेर रही है. यह बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि युवा-ऊर्जा की धारा को सही दिशा देने के लिए,देश के विद्यालयों में जिज्ञासा की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है. यह, हमारे बेटे-बेटियों और आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारा अमूल्य उपहार होगा. उनकी आशाओं और आकांक्षाओं पर विशेष ध्यान देना है,क्योंकि उनके सपनों में हम भविष्य के भारत की झलक देख पाते हैं.
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि मुझे विश्वास है कि समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए भारत,अपनी संवेदनशीलता बनाए रखेगा. भारत, अपने आदर्शों पर अटल रहेगा. भारत,अपने जीवन मूल्यों को संजोकर रखेगा और साहस की परंपरा को आगे बढ़ाएगा. हम भारत के लोग,अपने ज्ञान और विज्ञान के बल पर चांद और मंगल तक पहुंचने की योग्यता रखते हैं. साथ ही,हमारी संस्कृति की यह विशेषता है कि हम सब प्रकृति के लिए और सभी जीवों के लिए प्रेम और करुणा का भाव रखते हैं. उदाहरण के लिए,पूरी दुनिया के जंगली बाघों की तीन-चौथाई आबादी को हमने सुरक्षित बसेरा दिया है.
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अपने संबोधन के आखिरी हिस्से में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कवि सुब्रह्मण्य भारती की पंक्तियों को याद करते हुए कहा कि हमारे स्वतन्त्रता आंदोलन को स्वर देने वाले महान कवि सुब्रह्मण्य भारती ने सौ वर्ष से भी पहले भावी भारत की जो कल्पना की थी वह आज के हमारे प्रयासों में साकार होती दिखाई देती है. उन्होंने कहा था. मंदरम् कर्पोम्, विनय तंदरम् कर्पोम्, वानय अलप्पोम्, कडल मीनय अलप्पोम्। चंदिरअ मण्डलत्तु, इयल कण्डु तेलिवोम्, संदि, तेरुपेरुक्कुम् सात्तिरम् कर्पोम्॥ यानी कि हम शास्त्र और कार्य कुशलता दोनों सीखेंगे, हम आकाश और महासागर की सीमाएं नापेंगे. हम चंद्रमा की प्रकृति को गहराई से जानेंगे, हम सर्वत्र स्वच्छता रखने की कला सीखेंगे. उन्होंने कहा कि मेरी कामना है कि हमारी समावेशी संस्कृति, हमारे आदर्श,हमारी करुणा,हमारी जिज्ञासा और हमारा भाई-चारा सदैव बना रहे. और हम सभी,इन जीवन-मूल्यों की छाया में आगे बढ़ते रहें.
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