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This Article is From Oct 13, 2017

दो दशकों में आपदा के चलते बिमस्टेक देशों में 3.17 लाख लोगों की जानें गई : राजनाथ

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि बिमस्टेक देशों में वर्ष 1996 से आपदाओं ने 3,17,000 लोगों की जान ली और 1. 6 करोड़ लोग विस्थापित हुए हैं.

दो दशकों में आपदा के चलते बिमस्टेक देशों में 3.17 लाख लोगों की जानें गई : राजनाथ
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह (फइल फोटो)
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राजनाथ सिंह ने कहा कि वर्ष 1996 से आपदाओं ने 3,17,000 लोगों की जान ली
उन्होंने कहा किआपदाओं के कारण 1. 6 करोड़ लोग विस्थापित भी हुए हैं.
गृहमंत्री ने कहा कि इन आपदाओं के कारण आर्थिक नुकसान भी हुआ है
नई दिल्ली: गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि बिमस्टेक देशों में वर्ष 1996 से आपदाओं ने 3,17,000 लोगों की जान ली और 1. 6 करोड़ लोग विस्थापित हुए हैं. आपदा प्रबंधन पर बिमस्टेक (बीआईएमएसटीईसी) देशों के दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सिंह ने कहा कि बाढ़, सूखा, लू और चक्रवात के संदर्भ में भविष्य बेहतर नहीं होने जा रहा है और ऐसी घटनाओं की तीव्रता तथा आवृत्ति जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर बढ़ने की आशंका है. साल 1996 से 2015 के बीच ‘बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टरल टेक्नीकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन’ (बिमस्टेक) देशों में आपदाओं से 3,17,000 लोगों की जानें गईं.

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उन्होंने कहा कि इन आपदाओं में बिमस्टेक देशों में 1. 6 करोड़ से अधिक लोग बेघर हो गए और आर्थिक नुकसान भी काफी हुआ है. सम्मेलन में बिमस्टेक देशों - बांग्लादेश, भारत, म्यामांर, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल के प्रतिनिधि शरीक हुए. गृह मंत्री ने कहा आपदा से निपटने की बेहतर तैयारी से नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी और इस कोशिश में तथा इस दिशा में सभी बिमस्टेक राष्ट्रों ने पिछले दो दशकों में अहम प्रगति की है. विभिन्न राष्ट्रों की प्रगति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की चक्रवात से निपटने की तैयारी के कार्यक्रम को एक वैश्विक सर्वश्रेष्ठ कार्य के तौर पर मान्यता दी गई है, जबकि थाईलैंड में सुनामी चेतावनी प्रणाली ने तटीय इलाकों में बेहतर तैयारी की है.

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गृह मंत्री ने इस दिशा में भारत की कोशिशों का जिक्र करते हुए कहा कि नयी दिल्ली ने आपदा से मौतों और नुकसान को कम करने की दिशा में मजबूत कोशिश की है. सिंह ने कहा कि पिछले एक दशक में भारत की नीतिगत कोशिशों और पूर्व चेतावनी क्षमता में वृद्धि, समय पूर्व तैयारी, प्रशिक्षण तथा क्षमता विकास का सीधा नतीजा यह रहा है कि भारत फालिन और हुदहुद जैसे चक्रवातों से प्रभावी तरीके से निपटने में सक्षम रहा. उन्होंने आशा जताई कि आगामी तीन दिनों में संयुक्त कार्य पर जोर देने के अलावा प्रतिनिधियों के पास अपने देश का अनुभव साझा करने का अवसर होगा.

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इस बीच, प्रथम बिमस्टेक आपदा प्रबंध अभ्यास आज दिल्ली - एनसीआर में शुरू हुआ जिसका लक्ष्य क्षेत्रीय समन्वय को मजबूत करने के लिए सदस्य देशों के बीच सर्वश्रेष्ठ उपायों को साझा करना है. यह अभ्यास तीन दिन चलेगा.

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