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This Article is From Jul 20, 2017

एकमात्र राष्‍ट्रपति जो दो बार पद पर रहे, ऐसी मिसाल पेश की जो बनी परंपरा

उन्‍होंने राष्‍ट्रपति बनने के बाद दलीय निष्‍ठा से उबरने और स्‍वतंत्र ढंग से काम करने के लिए पार्टी पॉलिटिक्‍स से किनारा करने का फैसला किया. नतीजतन वह कांग्रेस की पॉलिटिक्‍स से रिटायर हो गए.

एकमात्र राष्‍ट्रपति जो दो बार पद पर रहे, ऐसी मिसाल पेश की जो बनी परंपरा
पंडित नेहरू(बाएं), डॉ राजेंद्र प्रसाद (मध्‍य) और डॉ अंबेडकर (दाएं). (फाइल फोटो)
देश में इससे पहले 13 राष्‍ट्रपति चुने गए हैं. इनमें से केवल बाबू राजेंद्र प्रसाद ही एकमात्र राष्‍ट्रपति हैं जो दो बार लगातार इस पद के लिए चुने गए. जानें उनसे जुड़ी 5 बातें :

पहले राष्‍ट्रपति
राजेंद्र प्रसाद (1884-1963) देश के पहले राष्‍ट्रपति चुने गए. पेशे से वकील राजेंद्र प्रसाद आजादी के संघर्ष में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में शुमार रहे. उन्‍होंने महात्‍मा गांधी की प्रेरणा से वकालत छोड़कर स्‍वतंत्रता संग्राम में उतरने का फैसला किया.

कांग्रेस से नाता
बिहार में सीवान के जीरादेई गांव में जन्‍मे बाबू राजेंद्र प्रसाद ने 1911 में कांग्रेस को ज्‍वाइन किया. उसके बाद वह बिहार और ओडि़शा प्रांत के नेता बने.

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संविधान सभा के अध्‍यक्ष
वह संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा के अध्‍यक्ष रहे. उससे पहले 1946 में अंतरिम राष्‍ट्रीय सरकार में पहले खाद्य एवं कृषि मंत्री रहे.

राष्‍ट्रपति के रूप में चुनाव
वह 1950 में संविधान सभा की अंतिम बैठक में राष्‍ट्रपति चुने गए और 26 जनवरी, 1950 से 13 मई, 1962 तक देश के राष्‍ट्रपति रहे.

पार्टी पॉलिटिक्‍स से किनारा
उन्‍होंने राष्‍ट्रपति बनने के बाद दलीय निष्‍ठा से उबरने और स्‍वतंत्र ढंग से काम करने के लिए पार्टी पॉलिटिक्‍स से किनारा करने का फैसला किया. नतीजतन वह कांग्रेस की पॉलिटिक्‍स से रिटायर हो गए. यह एक ऐसी मिसाल थी जो बाद में परंपरा बन गई और अभी भी यह परंपरा बदस्‍तूर जारी है.

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