रेल मंत्री सुरेश प्रभु (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
रेलवे को और अधिक गतिमान संगठन बनाने की दिशा में प्रयासरत बताते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने मंगलवार को कहा कि वह इसके विकास के लिए एक दीर्घकालिक योजना पर काम कर रहे हैं.
प्रभु ने लोकसभा में रेलवे की लाभांश नीति पर कन्वेंशन समिति की रिपोर्ट के मद्देनजर सरकारी संकल्प पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि रेलवे की भौतिक और वित्तीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 2030 तक उसके विकास की योजना तैयार की जा रही है जिसमें संसद सदस्यों, राज्य सरकारों समेत विभिन्न पक्षों से व्यापक परामर्श किया जाएगा.
रेलवे में क्रांतिकारी बदलाव लाने की प्रतिबद्धता जताते हुए रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे की विभिन्न शाखाओं को नया रूप प्रदान किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रीय परिवहन विकास नीति पर समिति की अगुवाई कर रहे जानेमाने अर्थशास्त्री राकेश मोहन के साथ एकीकृत परिवहन नीति को लेकर लगातार संपर्क में हैं और उनके साथ कई बैठकें हुई हैं. उन्होंने कहा कि रेलवे इस इस एकीकृत नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा. राकेश मोहन समिति ने फरवरी 2014 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
रेलवे का नेटवर्क बढ़ाने की सदस्यों की मांगों को सराहते हुए रेल मंत्री ने कहा कि सभी राज्यों की भी समस्याओं पर ध्यान दिया जाएगा.
वह रेलवे कन्वेंशन समिति की सिफारिश के अनुसार साल 2014-15 के लिए पांच प्रतिशत और 2015-16 के लिए चार प्रतिशत लाभांश के भुगतान के प्रावधान वाले संकल्प पर बोल रहे थे जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया. इसे मंजूरी के लिए राज्यसभा में रखा जाएगा. अपनी योजनाओं पर विस्तार से जानकारी देते हुए प्रभु ने कहा, ‘‘हम 2030 तक के लिए रेलवे के लिहाज से एक योजना बना रहे हैं. इसे सांसदों, राज्य सरकारों समेत सभी पक्षों से विस्तृत परामर्श के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा.’’ उन्होंने कहा कि मुख्य ध्यान विकेंद्रीकरण पर, मानव संसाधन की बेहतर तैनाती और तीन डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर के विकास पर होगा.
प्रभु ने कहा कि रेलवे रेल नेटवर्क का विस्तार करने के लिए और सेवाओं में सुधार के लिए राज्य सरकारों के साथ संयुक्त उपक्रम बना रहा है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
प्रभु ने लोकसभा में रेलवे की लाभांश नीति पर कन्वेंशन समिति की रिपोर्ट के मद्देनजर सरकारी संकल्प पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि रेलवे की भौतिक और वित्तीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 2030 तक उसके विकास की योजना तैयार की जा रही है जिसमें संसद सदस्यों, राज्य सरकारों समेत विभिन्न पक्षों से व्यापक परामर्श किया जाएगा.
रेलवे में क्रांतिकारी बदलाव लाने की प्रतिबद्धता जताते हुए रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे की विभिन्न शाखाओं को नया रूप प्रदान किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रीय परिवहन विकास नीति पर समिति की अगुवाई कर रहे जानेमाने अर्थशास्त्री राकेश मोहन के साथ एकीकृत परिवहन नीति को लेकर लगातार संपर्क में हैं और उनके साथ कई बैठकें हुई हैं. उन्होंने कहा कि रेलवे इस इस एकीकृत नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा. राकेश मोहन समिति ने फरवरी 2014 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
रेलवे का नेटवर्क बढ़ाने की सदस्यों की मांगों को सराहते हुए रेल मंत्री ने कहा कि सभी राज्यों की भी समस्याओं पर ध्यान दिया जाएगा.
वह रेलवे कन्वेंशन समिति की सिफारिश के अनुसार साल 2014-15 के लिए पांच प्रतिशत और 2015-16 के लिए चार प्रतिशत लाभांश के भुगतान के प्रावधान वाले संकल्प पर बोल रहे थे जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया. इसे मंजूरी के लिए राज्यसभा में रखा जाएगा. अपनी योजनाओं पर विस्तार से जानकारी देते हुए प्रभु ने कहा, ‘‘हम 2030 तक के लिए रेलवे के लिहाज से एक योजना बना रहे हैं. इसे सांसदों, राज्य सरकारों समेत सभी पक्षों से विस्तृत परामर्श के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा.’’ उन्होंने कहा कि मुख्य ध्यान विकेंद्रीकरण पर, मानव संसाधन की बेहतर तैनाती और तीन डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर के विकास पर होगा.
प्रभु ने कहा कि रेलवे रेल नेटवर्क का विस्तार करने के लिए और सेवाओं में सुधार के लिए राज्य सरकारों के साथ संयुक्त उपक्रम बना रहा है.
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