सांसदों को रेल टिकट बुक कराने के लिए रेलवे देगा यूनिक आईडी नंबर

सांसदों को रेल टिकट बुक कराने के लिए रेलवे देगा यूनिक आईडी नंबर

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

खास बातें

  • सांसदों के नाम से मल्टीपल बुकिंग के कुछ मामले सामने आए
  • प्रभु ने ई-टिकट बुकिंग में दलालों के रैकेट की बात स्वीकारी
  • तकनीक से समाधान खोजे जा रहे हैं, इससे चुनौतियां भी पैदा हो रही हैं
नई दिल्‍ली:

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बुधवार को बताया कि रेलवे सभी सांसदों को एक विशिष्ट पहचान संख्या देगा जिसके माध्यम से वे रेलवे टिकट बुकिंग करा सकेंगे और इससे एक से अधिक टिकटों की बुकिंग में किसी तरह के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा.

प्रभु ने प्रश्नकाल में कहा कि संसद सदस्यों द्वारा उनके नाम से कराई जाने वाली मल्टीपल बुकिंग के कुछ मामलों का पता चला है. बहरहाल फर्जी तरीके से बुकिंग का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्यों को एक विशिष्ट पहचान संख्या दी जाएगी जिसके माध्यम से वे रेलवे टिकट बुकिंग करा सकेंगे और इससे एक से अधिक टिकटों की बुकिंग में किसी तरह के दुरपयोग को रोका जा सकेगा.’’

प्रभु ने कहा कि किसी ने अगर दुरुपयोग करने का प्रयास किया तो सांसद के मोबाइल नंबर पर एक मैसेज आएगा. इससे दुरुपयोग की समस्या समाप्त होगी. दुरुपयोग करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी. एक से अधिक ट्रेन में टिकट बुकिंग कराने के बाद टिकट रद्द कराने पर रद्दीकरण शुल्क लोकसभा सचिवालय द्वारा नहीं बल्कि सांसद द्वारा अपनी जेब से दिये जाने के किसी तरह के विचार के कीर्ति आजाद के सवाल पर प्रभु ने कहा कि इस बारे में सदन जो भी निर्णय लेगा, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

हालांकि आजाद के प्रश्न के दौरान कई सदस्यों ने विरोध दर्ज कराया. लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी कहा, ‘‘कोई मजे के लिए टिकट बुक नहीं करता.’’ प्रभु ने ई-टिकट बुकिंग में अनधिकृत दलालों के रैकेट के सक्रिय होने की बात स्वीकारी और कहा कि मंत्रालय इस पर रोकथाम के प्रभावी कदम उठा रहा है. प्रभु ने कहा कि तकनीक से समाधान खोजे जा रहे हैं लेकिन इससे चुनौतियां भी पैदा हो रही हैं. हम इसलिए तकनीक को लगातार उन्नत करने के लिए प्रयासरत हैं.

उन्होंने यह भी बताया कि ट्रेन टिकट निरीक्षकों (टीटीई) को हैंडहेल्ड मशीनें दी जा रहीं हैं जिनसे उन्हें ट्रेन में खाली सीटों की मौजूदा स्थिति पता चल सकेगी. यह अभी शुरुआती चरण में है. उन्होंने कहा कि ई-टिकटों की मांग और आपूर्ति में अंतर के कारण समस्या है जिसे खत्म करने के लिए क्षमता विस्तार के प्रयास किये जा रहे हैं. दो-तीन साल में यह काम पूरा हो जाएगा.

रेल मंत्री ने अपने लिखित जवाब में बताया कि ऑनलाइन टिकट बुक कराने के लिए अपने बैंक-क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल नहीं करने वालों के लिए पायलट आधार पर ‘कैश ऑन डिलीवरी’ भुगतान गेटवे का अन्य तरीका शुरू किया गया है. उन्होंने बताया कि एंड्रॉयड, आईओएस, विंडोज और ब्लैकबेरी में भी मोबाइल एप्लीकेशन विकसित किये गये हैं. इन मोबाइल एप्लीकेशनों के जरिये प्रतिदिन औसतन लगभग 30,000 टिकटें बुक की जाती हैं.


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