कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कृषि कानूनों (Farm Laws) के पारित होने के दौरान संसद में उनकी गैरमौजूदगी पर उठ रहे सवालों का जवाब दिया है. राहुल ने कहा कि उस वक्त मां (सोनिया गांधी) को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी.
तीन दिन की खेती बचाओ यात्रा पूरी करने के बाद मंगलवार को प्रेस कान्फ्रेंस में सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने यह प्रतिक्रिया दी. राहुल से जब यह पूछा गया कि कानून पारित होने के दौरान वह विदेश में क्या कर रहे थे. उन्होंने कहा, "मेरी मां को चिकित्सा जांच के लिए विदेश जाना था, लेकिन मेरी बहन उनके साथ नहीं जा सकती थी. प्रियंका के स्टॉफ के कुछ सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. लिहाजा उस वक्त वह मां के साथ थे, मैं उनका बेटा हूं और मुझे उनकी देखभाल करनी है."
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने संघीय ढांचे को लेकर पार्टी के दोहरे रवैये से जुड़े सवाल का भी जवाब दिया. एक पत्रकार ने पूछा कि 1980 में पंजाबी सूबा आंदोलन चलाया गया और तब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर संघवाद को कुचलने का आरोप लगा था. अब आप केंद्र सरकार पर संघवाद को कमजोर करने का आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में पंजाबी जनता आप पर कैसे यकीन करे. राहुल ने कहा कि वह पंजाब के कर्जदार हैं.
1977 में सिखों ने घर पर मेरी दादी की हिफाजत की
राहुल ने कहा, “ पंजाब की जनता को शब्द नहीं, बल्कि मेरी कामों से मेरा आकलन करना चाहिए. पंजाबी लोगों से मैंने बहुत कुछ सीखा है और पंजाबियत की भावना ने उनकी काफी मदद की है. 1977 में जब मेरी मां चुनाव हार गई थीं तो घर पर कोई नहीं था. सिख हमारी सुरक्षा में तैनात थे. मैं पंजाब के लोगों का कर्जदार हूं.”
तीन दिन की खेती बचाओ यात्रा संपन्न
राहुल ने पंजाब में रविवार को तीन की खेती बचाओ यात्रा की शुरुआत की थी. उन्होंने पहले दिन मोगा में ट्रैक्टर रैली की थी. हालांकि रैली के दौरान गद्देदार सोफे पर बैठने को लेकर भी उन पर निशाना साधा गया. राहुल ने यात्रा के आखिरी दिन भी कहा कि केंद्र के इन कानूनों का उद्देश्य छोटे किसानों को खत्म करना है. इससे किसानों से एमएसपी का अधिकार छिन जाएगा और वे बड़ी कंपनियों के दया के पात्र बन जाएंगे.
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