
राहुल गांधी
- प्रशासन ने राहुल गांधी को सहारनपुर आने की अनुमति नहीं दी थी
- इसके बावजूद राहुल गांधी वहां पहुंचे हैं
- 23 मई को मायावती सहारनपुर गई थीं
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सहारनपुर में पिछले दिनों दो समुदायों के बीच हिंसक संघर्ष के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी शनिवार को वहां पहुंचे. जिले की सीमा पर पहुंचने के बाद पुलिस ने उनको रोक दिया. इस पर उन्होंने कहा, ''मैं सहारनपुर जाना चाहता था. मुझे वहां जाने से रोका गया...मैं प्रशासन के आग्रह पर वापस लौट रहा हूं.'' वह सड़क मार्ग से दिल्ली से सहारनपुर गए. उनके साथ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और राज बब्बर समेत कांग्रेस के कई नेता थे. वह हरियाणा होते हुए वहां पहुंचे थे. संभवतया उन्होंने यह मार्ग इसलिए चुना क्योंकि इससे पहले शुक्रवार को उनको राज्य सरकार की तरफ से वहां जाने की अनुमति नहीं दी गई थी. इस संबंध में उत्तर प्रदेश के एडीजी (कानून-व्यवस्था) आदित्य मिश्रा ने कहा था कि अगर राहुल गांधी ने सहारनपुर में प्रवेश करने का प्रयास किया तो उनको जिले की सीमा पर ही रोक दिया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को सहारनपुर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बबलू कुमार ने बताया कि राहुल को सहारनपुर आने की अनुमति नहीं दी गई है. बसपा सुप्रीमो मायावती 23 मई को सहारनपुर हो आई हैं. उन्होंने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार पर कानून व्यवस्था बनाये रखने में विफल रहने का आरोप लगाया है.
सहारनपुर में इस महीने कई बार जातीय संघर्ष देखने को मिला. करीब 40 दिन पहले अंबेडकर जयंती पर जुलूस के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. पांच मई को दो समुदायों के बीच संघर्ष में एक व्यक्ति मारा गया और 15 अन्य घायल हो गये. नौ मई को करीब दर्जन भर पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और 12 पुलिसकर्मी घायल हो गये जबकि 23 मई को एक अन्य व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई जबकि दो अन्य को घायल कर दिया गया. उसके बाद सरकार ने एसएसपी और जिलाधिकारी को निलंबित कर दिया जबकि मंडलायुक्त और पुलिस उप महानिरीक्षक के तबादले कर दिये.
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को सहारनपुर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बबलू कुमार ने बताया कि राहुल को सहारनपुर आने की अनुमति नहीं दी गई है. बसपा सुप्रीमो मायावती 23 मई को सहारनपुर हो आई हैं. उन्होंने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार पर कानून व्यवस्था बनाये रखने में विफल रहने का आरोप लगाया है.
सहारनपुर में इस महीने कई बार जातीय संघर्ष देखने को मिला. करीब 40 दिन पहले अंबेडकर जयंती पर जुलूस के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. पांच मई को दो समुदायों के बीच संघर्ष में एक व्यक्ति मारा गया और 15 अन्य घायल हो गये. नौ मई को करीब दर्जन भर पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और 12 पुलिसकर्मी घायल हो गये जबकि 23 मई को एक अन्य व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई जबकि दो अन्य को घायल कर दिया गया. उसके बाद सरकार ने एसएसपी और जिलाधिकारी को निलंबित कर दिया जबकि मंडलायुक्त और पुलिस उप महानिरीक्षक के तबादले कर दिये.
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