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This Article is From Sep 09, 2021

राहुल गांधी ने 14 किलोमीटर पैदल चलकर किया वैष्णो देवी का दर्शन, बोले- यहां कोई राजनीतिक टिप्पणी नहीं

5 सितंबर को राहुल के जम्मू दौरे के कार्यक्रम के बारे में बताते हुए जम्मू-कश्मीर मामलों की अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की प्रभारी रजनी पाटिल ने कहा था कि गांधी जम्मू की अपनी यात्रा की शुरुआत रियासी जिले में माता वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन कर करेंगे.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पैदल चलकर किया वैष्णो देवी का दर्शन.

नई दिल्ली:

कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) गुरुवार को माता वैष्णो देवी (Vaishno Devi) के दर्शन के लिए पैदल ही पहुंचे. वे दोपहर में कटरा पहुंचे और मंदिर के लिए यात्रा शुरू की. इस दौरान जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किए तो उन्होंने कहा कि मैं राजनीतिक टिप्पणी नहीं करूंगा. मैं यहां माता के दर्शन के लिए आया हूं. राहुल ने यहां आरती में भी हिस्सा लिया. माता वैष्णो देवी मंदिर के मुख्य पुजारी और आरती पुजारी ने मंत्रोच्चारण कर राहुल गांधी को आशीर्वाद स्वरूप माता की चुनरी भी भेंट की. 

वीडियो में, कांग्रेस सांसद को तीर्थयात्रियों के साथ तेज गति से चलते हुए देखा गया. 14 किलोमीटर की यात्रा के बाद माता के धाम में दर्शन होता है. पार्टी के झंडे पकड़े कांग्रेस कार्यकर्ता रास्ते में लाइन लगे दिखे. राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा, "मैं यहां माता की पूजा करने आया हूं. मैं यहां कोई राजनीतिक टिप्पणी नहीं करना चाहता." मीडिया को वहां कैमरा लाने की अनुमति नहीं थी.

कांग्रेस ने वीडियो पोस्ट किया जिसमें सांसद को तीर्थयात्रियों के साथ बातचीत करते देखा गया. कांग्रेस की जम्मू और कश्मीर इकाई के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर के अनुसार, राहुल गांधी वर्षों से वैष्णो देवी की यात्रा करना चाहते थे.

समाचार एजेंसी एएनआई ने मीर के हवाले से कहा, "हम पिछले तीन सालों से राहुल गांधी से पूछ रहे हैं. वह भी आना चाहते थे, लेकिन राजनीतिक स्थिति ऐसी थी कि वह नहीं जा सकते थे."

उनके अनुसार, राहुल गांधी, पैदल ही मंदिर जाने और प्रार्थना और आरती में भाग लेने के लिए दृढ़ थे. मीर ने कहा, "अगले दिन वह फिर से पैदल उतरेंगे. उन्हें माता वैष्णो देवी में विशेष आस्था है, इसलिए हमने उनकी यात्रा के पहले दिन उनके लिए कोई राजनीतिक कार्यक्रम निर्धारित नहीं किया है."

जम्मू के बाद, राहुल गांधी की लद्दाख जाने की योजना है.

अनुच्छेद 370 के अगस्त 2019 में निरस्त होने के बाद से जम्मू और कश्मीर की यह उनकी दूसरी यात्रा है, जिसने पूर्व राज्य को विशेष दर्जा दिया था.

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