नई दिल्ली:
मायावती पर उत्तर प्रदेश में किसी अनुसूचित जाति के नेता को आगे नहीं बढ़ने देने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि इस समुदाय में नेतृत्व को उभारने के लिए कांग्रेस के पास बहुत बड़ा अवसर है और पार्टी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी क्षेत्रों में दलित नेतृत्व पैदा हो।
अनुसूचित जाति सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय जागरूकता पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि भारत में दलित सशक्तिकरण चरणों में हुआ है। पहले चरण में भीमराव अम्बेडकर शामिल थे, जिन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर संविधान लिखने और उनके लिए आरक्षण सुनिश्चित करने में योगदान दिया।
उन्होंने कहा कि दूसरा चरण कांशीराम का था जिन्होंने सशक्तिकरण का इस्तेमाल आरक्षण से संगठन के निर्माण के लिए किया। इस चरण में मायावती ने भूमिका निभाई।
कांग्रेस नेता ने कहा कि देश तीसरे चरण से गुजर रहा है जहां सबसे महत्वपूर्ण पहलू है नेतृत्व का विकास। राहुल ने कहा, ‘अगर आप इस (दलित) आंदोलन को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो एक दलित नेता या दो दलित देना पर्याप्त नहीं होगा। लाखों दलित नेताओं की जरूरत होगी। आंदोलन के नेतृत्व पर मायावती ने कब्जा कर रखा है, वह दूसरों को आगे बढ़ने की इजाजत नहीं देतीं।’
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने दावा किया कि पार्टी के लिए यह बड़ा अवसर है जिसने दलितों के लिए अतीत में बहुत कुछ किया है। उन्होंने पार्टी से ‘व्यवस्थित ढंग’ से हर स्तर पर - पंचायत से लेकर विधायक और सांसद तक और यहां तक कि नीति निर्धारण के स्तर तक, दलित नेतृत्व तैयार करने को कहा।
राहुल ने दावा किया कि दलित शुरूआत से कांग्रेस के साथ थे लेकिन मंडल मंदिर आंदोलन के मद्देनजर बसपा ने उन्हें अपने पाले में कर लिया। पार्टी यह मानती है कि उन्हें उनके मूल घर में वापस लाने के प्रयास किए जाने चाहिए।
बाल्मीकि जयंती के मौके पर आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए राहुल ने हाल के अध्यादेश विवाद की चर्चा की और कहा, ‘मुझे एक पत्रकार ने बताया कि विपक्ष ऐसा कह रही है कि अपनी बात रखने के लिए आपने गलत समय चुना। मैंने पूछा क्या सच कहने के लिए कोई सही समय होता है। अगर आप सच कहने के लिए समय चुनते हैं तो यह सच नहीं बल्कि झूठ है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि संसद में पारित कुछ विधेयकों का नामकरण ठीक से नहीं होता। उन्होंने कहा कि हाल में मैला ढोने की प्रथा से संबंधित विधेयक पारित हुआ। कायदे से इसका नाम आत्मसम्मान का अधिकार विधेयक होना चाहिए था।
राहुल गांधी ने पार्टी के लिए हर राज्य में नेताओं को तैयार करने की आवश्यकता को रेखांकित किया ताकि लोग कह सकें कि कांग्रेस के पास 40 से 50 नेता हैं जो प्रधानमंत्री के रूप में काम कर सकते हैं, जो मुख्यमंत्री के रूप में काम कर सकते हैं।
अनुसूचित जाति सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय जागरूकता पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि भारत में दलित सशक्तिकरण चरणों में हुआ है। पहले चरण में भीमराव अम्बेडकर शामिल थे, जिन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर संविधान लिखने और उनके लिए आरक्षण सुनिश्चित करने में योगदान दिया।
उन्होंने कहा कि दूसरा चरण कांशीराम का था जिन्होंने सशक्तिकरण का इस्तेमाल आरक्षण से संगठन के निर्माण के लिए किया। इस चरण में मायावती ने भूमिका निभाई।
कांग्रेस नेता ने कहा कि देश तीसरे चरण से गुजर रहा है जहां सबसे महत्वपूर्ण पहलू है नेतृत्व का विकास। राहुल ने कहा, ‘अगर आप इस (दलित) आंदोलन को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो एक दलित नेता या दो दलित देना पर्याप्त नहीं होगा। लाखों दलित नेताओं की जरूरत होगी। आंदोलन के नेतृत्व पर मायावती ने कब्जा कर रखा है, वह दूसरों को आगे बढ़ने की इजाजत नहीं देतीं।’
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने दावा किया कि पार्टी के लिए यह बड़ा अवसर है जिसने दलितों के लिए अतीत में बहुत कुछ किया है। उन्होंने पार्टी से ‘व्यवस्थित ढंग’ से हर स्तर पर - पंचायत से लेकर विधायक और सांसद तक और यहां तक कि नीति निर्धारण के स्तर तक, दलित नेतृत्व तैयार करने को कहा।
राहुल ने दावा किया कि दलित शुरूआत से कांग्रेस के साथ थे लेकिन मंडल मंदिर आंदोलन के मद्देनजर बसपा ने उन्हें अपने पाले में कर लिया। पार्टी यह मानती है कि उन्हें उनके मूल घर में वापस लाने के प्रयास किए जाने चाहिए।
बाल्मीकि जयंती के मौके पर आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए राहुल ने हाल के अध्यादेश विवाद की चर्चा की और कहा, ‘मुझे एक पत्रकार ने बताया कि विपक्ष ऐसा कह रही है कि अपनी बात रखने के लिए आपने गलत समय चुना। मैंने पूछा क्या सच कहने के लिए कोई सही समय होता है। अगर आप सच कहने के लिए समय चुनते हैं तो यह सच नहीं बल्कि झूठ है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि संसद में पारित कुछ विधेयकों का नामकरण ठीक से नहीं होता। उन्होंने कहा कि हाल में मैला ढोने की प्रथा से संबंधित विधेयक पारित हुआ। कायदे से इसका नाम आत्मसम्मान का अधिकार विधेयक होना चाहिए था।
राहुल गांधी ने पार्टी के लिए हर राज्य में नेताओं को तैयार करने की आवश्यकता को रेखांकित किया ताकि लोग कह सकें कि कांग्रेस के पास 40 से 50 नेता हैं जो प्रधानमंत्री के रूप में काम कर सकते हैं, जो मुख्यमंत्री के रूप में काम कर सकते हैं।
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