कोरोनावायरस को लेकर रघुराम राजन बोले- आजादी के बाद के सबसे बड़े आपातकाल के दौर में भारत, विपक्षी दलों से लें मदद

राजन ने कहा कि कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी की वजह से देश "आजादी के बाद के सबसे आपातकालीन" दौर में है.

कोरोनावायरस को लेकर रघुराम राजन बोले- आजादी के बाद के सबसे बड़े आपातकाल के दौर में भारत, विपक्षी दलों से लें मदद

गरीब और जरूरतमंदों पर खर्च बढ़ाने की जरूरत : राजन (फाइल फोटो)

खास बातें

  • राजन ने कोरोनावायरस के असर से बचने के लिए कुछ सुझाव दिए
  • देश "आजादी के बाद के सबसे आपातकालीन" दौर में
  • सीमित संसाधन हमारे लिए चिंता का विषय है
नई दिल्ली:

पूरा विश्व कोरोना संकट के चपेट में है. भारत पर भी इसका असर पड़ रहा है. विशेषज्ञों ने कोरोनावायरस के चलते वैश्विक मंदी आने की आशंका जताई है. इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कोरोनावायरस के असर से बचने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं. राजन ने कहा कि कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी की वजह से देश "आजादी के बाद के सबसे बड़े आपातकालीन" दौर में है. उन्होंने कहा कि सरकार को गरीबों पर खर्च करने और कम जरूरी व्यय को टालने पर ध्यान देना चाहिए. राजन ने कहा कि यदि सरकार सारे काम प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से चलाने पर जोर देती है तो इसमें ज्यादा समय लगेगा. वहां लोगों के पास पहले से ही काम का बोझ ज्यादा है. 

रघुराम राजन ने लिंकडइन पर लिखे ब्लॉग पोस्ट में कहा कि गरीबों पर खर्च करना सही है बावजूद इसके की सरकार के पास संसाधनों के मोर्चे पर कुछ दिक्कतें हैं. उन्होंने कहा, "सीमित संसाधन हमारे लिए चिंता का विषय है. हालांकि, जरूरतमंद लोगों पर खर्च बढ़ाना इस समय जरूरी है. एक राष्ट्र के रूप में और कोरोवायरस के खिलाफ जंग में योगदान करने के लिए लिहाज से यह सही है. इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपनी बजटीय दिक्कतों को नजरअंदाज कर सकते हैं, खासकर तब जब इस साल आय पर भी असर पड़ेगा. हम कोरोना वायरस के संकट में ऐसे समय फंसे हैं जब पहले से ही राजकोषीय घाटा ऊंचा है और खर्च बढ़ाने की जरूरत है. 

कोरोनवायरस लॉकडाउन के बाद की योजना को लेकर पूर्व गवर्नर राजन ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि गरीबों और कम आय वाले मध्य वर्ग का जीवनयापन हो सके, जिन्हें लंबे समय के लिए काम करने से रोका गया. केंद्र और राज्यों को मिलकर रणनीति बनानी होगी और अगले कुछ महीनों तक आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के खातों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के जरिये पैसे डालने होंगे. 

रघुराम राजन ने कहा, "2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान मांग में भारी कमी आयी थी, लेकिन तब हमारे कामगार काम पर जा रहे थे, हमारी कंपनियां सालों की ठोस वृद्धि के कारण मजबूत थीं, हमारी वित्तीय प्रणाली बेहतर स्थिति में थी और सरकार के वित्तीय संसाधन भी अच्छे हालात में थे. अभी जब हम कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं, इनमें से कुछ भी सही नहीं हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि यदि उचित तरीके तथा प्राथमिकता के साथ काम किया जाये तो भारत के पास इतने स्रोत हैं कि वह महामारी से उबर सकता है.    

उन्होंने कहा कि सरकार इस काम में विपक्ष से भी मदद ले सकती है, जिसके पास पिछले वैश्विक वित्तीय संकट से देश को निकालने का अनुभव है. रघुराम राजन ने कहा कि अभी तो इस महामारी से लड़ने के लिए बड़े पैमाने पर टेस्टिंग, क्वारैन्टाइन और सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत है. 21 दिन का लॉकडाउन वायरस से लड़ने की दिशा में पहला कदम है, जिसने तैयारी करने का समय दिया. 
 

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