पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में कलह के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amrinder Singh) ने पंजाब का मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया है लेकिन इससे पहले उन्होंने पार्टी आलाकमान को बता दिया कि वो पार्टी में अपमानित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने अपने विकल्प खुले रखे हैं. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि कैप्टन या तो बीजेपी में जा सकते हैं या फिर अपनी नई पार्टी बना सकते हैं.
वैसे यह पहली बार नहीं है, जब उनके द्वारा अपनी पार्टी बनाने की चर्चा हुई है. साल 1992 में भी चर्चा थी कि कैप्टन अपनी पार्टी बनाएंगे. उसके बाद 2015 में भी ऐसी ही चर्ची तब उठी थी, जब कांग्रेस में वो अपमानित महसूस कर रहे थे. कैप्टन की बायोग्राफी 'द पीपुल्स महाराजा' में वरिष्ठ पत्रकार खुशवंत सिंह ने उस घटना का जिक्र किया है, जब वो कांग्रेस में अपमानित महसूस कर रहे थे.
सिंह ने लिखा है, "पंजाब कांग्रेस में गतिरोध को समाप्त कराने की कोशिश में सितंबर 2015 के अंत में अमरिंदर सिंह नई दिल्ली में 10 जनपथ में एक मीटिंग में पहुंचे थे. तब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया था. इससे अमरिंदर सिंह काफी आहत हुए थे. कैप्टन के चेहरे का भाव पढ़कर बैठक में ही तब सोनिया गांधी ने राहुल गांधी को याद दिलाया था कि ये मत भूलो कि तुम अपने दिवंगत पिता के खास मित्र से बात कर रहे हो. इसके बाद राहुल शांत हो गए थे."
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इस व्यवहार से बहुत आहत, अमरिंदर सिंह ने जानी-मानी पत्रकार सागरिका घोष को दिए एक साक्षात्कार में तब टिप्पणी की थी, कि राहुल गांधी को 'रियलिटी की जांच' करने की आवश्यकता है. तब आहत कैप्टन ने संकेत दे दिए थे कि वह जल्द ही अपना मोर्चा बना सकते हैं लेकिन सोनिया गांधी के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हो गया था.
इसी किताब में साल 2014 के उस वाकये का भी जिक्र है, जब कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अमरिंदर सिंह को अमृतसर से अरुण जेटली के खिलाफ उम्मीदवार बनाया था लेकिन वह अनमने ढंग से चुनाव मैदान में थे. किताब में कहा गया है, "जब अमरिंदर सिंह दिल्ली से चंडीगढ़ लौट रहे थे और पानीपत के करीब थे, तभी सोनिया गांधी का फोन गया था जिसमें उन्होंने भावुक अंदाज में कैप्टन से पूछा था कि क्या आप मेरे लिए यह लड़ाई लड़ सकते हैं?"
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किताब में कहा गया है कि सोनिया गांधी के अलावा उनकी बेटी प्रियंका गांधी ने भी अमरिंदर सिंह से बात की थी. प्रियंका ने कहा, "अंकल, मैं चाहती हूं कि आप अमृतसर से लड़ें." तब प्रियंका ने कैप्टन से उनसे और उनके पिता (दिवंगत राजीव गांधी) के बीच पुराने समय के पारिवारिक बंधन को उजागर करते हुए ये अनुरोध किया था. इसके बाद अमरिंदर सिंह में जोश भर आया था. 28 मार्च, 2014 को अमृतसर पहुंचकर अमरिंदर सिंह ने बड़ी पार्टी दी और जीत की रूपरेखा तय की. इस चुनाव में उन्होंने अरुण जेटली को करीब एक लाख वोटों के अंतर से हराया था.
बता दें कि राजीव गांधी और अमरिंदर सिंह दोनों काफी अच्छे दोस्त थे. दोनों ने दून स्कूल में एकसाथ पढ़ाई की थी. राजीव गांधी की वजह से ही अमरिंदर सिंह कांग्रेस में आए थे.
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