नई दिल्ली:
आज श्रीहरिकोटा से PSLV सातवें और आखिरी नेविगेशन सेटेलाइट को लेकर उड़ान भरी। इसके साथ ही भारत का अपना देसी जीपीएस का सपना पूरा हो गया। इस सैटेलाइट का नाम IRNSS-1G है।
अभी 6 नेविगेशन सेटेलाइट्स 24 घंटे अपने सिग्नल उपलब्ध करा रहे हैं। ये सुविधा भारतीय इलाके में ठीक वैसी ही होगी जैसे अमेरिकी जीपीएस सुविधा देती है। इस सैटेलाइट को 12.50 मिनट पर आज इस लॉन्च किया गया।
ये क्षमता हासिल करने वाला भारत दुनिया का तीसरा देश होगा। एक ऐसी सुविधा जिसका भारतीय सेना को एक लंबे समय से इंतजार था, हालांकि इसके कई और भी फायदे हैं।
देसी जीपीएस की ख़ासियत
इस मौके पर देशवासियों को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने आज अपना सातवां सैटेलाइट लॉन्च किया है। आज भारत दुनिया के उन पांच देशों में गर्व के साथ खड़ा हो गया जिसमें उसका अपना जीपीएस तैयार हो गया है। आज तक हम इसके लिए अन्य देशों की व्यवस्थाओं पर निर्भर थे। आज हम आत्मनिर्भर हो गए हैं। हमारे रास्ते हम तय करेंगे। अब अपनी तकनीक के आधार पर हम यह करेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत के वैज्ञानिकों ने देशवासियों को अनोखा तोहफा दिया है। अंतरिक्ष विज्ञान में हमारे वैज्ञानिकों ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। अंतरिक्ष विज्ञान के माध्यम से लोगों के जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव लाए जा सकते हैं। इस मौके पर में इसरो की पूरी टीम को धन्यवाद देता हूं।'
अभी 6 नेविगेशन सेटेलाइट्स 24 घंटे अपने सिग्नल उपलब्ध करा रहे हैं। ये सुविधा भारतीय इलाके में ठीक वैसी ही होगी जैसे अमेरिकी जीपीएस सुविधा देती है। इस सैटेलाइट को 12.50 मिनट पर आज इस लॉन्च किया गया।
ये क्षमता हासिल करने वाला भारत दुनिया का तीसरा देश होगा। एक ऐसी सुविधा जिसका भारतीय सेना को एक लंबे समय से इंतजार था, हालांकि इसके कई और भी फायदे हैं।
देसी जीपीएस की ख़ासियत
- सैटेलाइट का डाटा स्मार्टफोन सीधे इस्तेमाल कर सकेंगे
- 20 मीटर से भी कम की सटीक जानकारी का दावा
- 1500 किलोमीटर के दायरे के मुताबिक डिजाइन
- वजन 1425 किलो, एक दशक से ज्यादा काम करेगा
- पहले से ही 6 नेविगेशन सेटेलाइट काम कर रहे हैं
इस मौके पर देशवासियों को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने आज अपना सातवां सैटेलाइट लॉन्च किया है। आज भारत दुनिया के उन पांच देशों में गर्व के साथ खड़ा हो गया जिसमें उसका अपना जीपीएस तैयार हो गया है। आज तक हम इसके लिए अन्य देशों की व्यवस्थाओं पर निर्भर थे। आज हम आत्मनिर्भर हो गए हैं। हमारे रास्ते हम तय करेंगे। अब अपनी तकनीक के आधार पर हम यह करेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत के वैज्ञानिकों ने देशवासियों को अनोखा तोहफा दिया है। अंतरिक्ष विज्ञान में हमारे वैज्ञानिकों ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। अंतरिक्ष विज्ञान के माध्यम से लोगों के जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव लाए जा सकते हैं। इस मौके पर में इसरो की पूरी टीम को धन्यवाद देता हूं।'
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