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This Article is From Oct 09, 2020

NIA के खिलाफ रांची में विरोध प्रदर्शन, फादर स्टेन स्वामी को रिहा करने की मांग

प्रदर्शन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि उम्रदराज 84 वर्षीय स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी एक बड़ी साजिश का हिस्सा

NIA के खिलाफ रांची में विरोध प्रदर्शन, फादर स्टेन स्वामी को रिहा करने की मांग
रांची में एनआईए के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता.
रांची:

झारखंड की राजधानी रांची में आज शाम सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जांच एजेंसी NIA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. वे रांची से गिरफ्तार किए सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी को रिहा करने की मांग कर रहे थे. भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गुरुवार की शाम को NIA की टीम ने स्टेन स्वामी (Stan Swamy) को गिरफ्तार किया है. एलगार परिषद मामले में चल रही जांच के सिलसिले में उन्हें जून 2018 में हिरासत में लिया गया था. इस मामले में यह 16 वीं गिरफ्तारी है. प्रदर्शन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि उम्रदराज 84 वर्षीय स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी एक बड़ी साजिश का हिस्सा है. उन्हें तत्काल रिहा किया जाए.

एल्गार परिषद (Elgar Parishad Case) में माओवादियों से रिश्ते के मामले में गिरफ्तार 83 वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी (Stan Swamy) को मुंबई की एक विशेष एनआईए (NIA) अदालत ने 23 अक्टूबर तक के लिये शुक्रवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

स्वामी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गुरुवार शाम रांची स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था. उन्हें शुक्रवार को विशेष अदालत में पेश किया गया. अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में भेज दिया. जांच एजेंसी ने उनकी हिरासत नहीं मांगी. स्वामी से पुणे पुलिस और एनआईए पहले दो बार पूछताछ कर चुकी है. एनआईए अधिकारियों के मुताबिक स्वामी के प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) से कथित संबंधों को लेकर गिरफ्तार किया गया. इस मामले में गिरफ्तार किये गये वह 16वें व्यक्ति हैं. आरोपियों पर आईपीसी और यूएपीए के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है.

भीमा-कोरेगांव केस में एक और गिरफ्तारी, NIA ने 83 साल के फादर स्टैन स्वामी को अरेस्ट किया

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि स्वामी ने एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिये एक सहयोगी के मार्फत धन भी प्राप्त किया था. अधिकारियों ने दावा किया कि इसके अलावा वह भाकपा (माओवादी) के मुखौटा संगठन ‘परसेक्युटेड प्रीजनर्स सोलीडैरिटी कमेटी' (पीपीएससी) के संयोजक भी हैं. उन्होंने बताया कि स्वामी के पास से भाकपा (माओवादी) से जुड़े साहित्य, दुष्प्रचार सामग्री तथा संचार से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए थे जो समूह के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिये थे.

पुणे के पास कोरेगांव भीमा (Bhima Koregaon) में एक युद्ध स्मारक के पास एक जनवरी 2018 को हिंसा भड़क गई थी. इसके एक दिन पहले ही पुणे शहर में हुए एल्गार परिषद सम्मेलन के दौरान कथित तौर पर उकसाने वाले भाषण दिये गये थे. एनआईए अधिकारियों ने कहा है कि जांच में यह स्थापित हुआ है कि स्वामी माओवादी गतिविधियों में संलिप्त थे. एनआईए ने आरोप लगाया है कि वह समूह की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, अरुण फरेरा, वर्णन गोंजाल्वेस, हनी बाबू, शोमा सेन, महेश राउत, वरवर राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा और आनंद तेलतुम्बदे के संपर्क में थे. इन पर पहले से आरोप हैं.

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